शिवजी की कथा हम लोगों के विकारों को दूर करती है : पंडित शैलेंद्र शास्त्री 

0

मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

काम, क्रोध, मद, लोभ नामक ऐसे विकार रूपी पक्षी है जिन्हें भगाने के लिए भगवान के भजन का सहारा लेना पड़ता है यदि  इन्हें नहीं भगाया गया तो यह जीवन रूपी फसल को चौपट कर देंगे इन जीवन रूपी फसल को बचाए रखना है।

            उक्त विचार आम्बुआ शंकर मंदिर प्रांगण में आयोजित हो रही श्री महा शिव पुराण कथा के छठवें दिवस व्यास पीठ पर से पंडित श्री शैलेंद्र शास्त्री ने व्यक्त करते हुए आगे बताया कि सबसे सरल पूजा शिवजी की है  उन्हें पूजा में न तो कोई विशेष सामग्री की जरूरत है और न ही कोई 56 भोग की जरूरत होती है संसार में या देवलोक में ऐसा कोई भी देवता मानव दानव नहीं है जिसने शिव की भक्ति न कि हो। हमें शिव जी के परिवार से यह सीख लेना चाहिए कि विषमता में भी समता कैसे लाई जा सकती है शिवजी के परिवार में सभी सदस्य विषम में जैसे माता पार्वती की सवारी शेर तो भोले बाबा का नंदी, कार्तिक भगवान का मोर तो भोलेनाथ के गले में सर्प, गजानन का चूहा आदि सब विषम होने के बावजूद सम भाव में साथ रहते हैं अतः जीवन में शिवजी जैसा परिवार होना चाहिए आज कथा में शिव जी के विभिन्न अवतारों का वर्णन व्यास पीठ से किया गया आगे शास्त्री जी बताते हैं कि आनंद और शांति बाहर नहीं खोज अपने अंदर ही विद्यमान है श्री नारद जी द्वारा यह पूछे जाने पर की भगवान कहां रहते हैं तो भगवान ने उत्तर दिया कि वह न तो बैकुंठ में और नहीं योगियो के चित्त में वह भक्तों के हृदय में निवास करते हैं भगवान मंदिरों में इसलिए खड़े रहते हैं ताकि कभी भी भक्त पुकारे तो वे दौड़कर चले जाएं।

           आगे कथा में नवधा भक्ति तथा नारद जी द्वारा तपस्या करने की कथा उन्हें भगवान ने बताया कि जीवन में तपना जरूरी है तपने से मतलब हर परिस्थिति का सामना करना उन्होंने वर्तमान शिक्षा पद्धति पर जमकर प्रहार करते हुए समाज के लिए गलत बताया यह मैकाले की शिक्षा पद्धति है जिसने हमारी संस्कृति को नष्ट कर दिया बच्चों को मंदिर भेजना चाहिए गले में तुलसी की माला रुद्राक्ष की माला होना चाहिए आगे कथा में नारद जी के अभिमान को तोड़ने हेतु भगवान विष्णु जी द्वारा विश्व मोहिनी का रूप धरणा स्वयंवर में नारद जी का मान मर्दन करना तथा नारद जी द्वारा भगवान हरि को श्राप देने की कथा के बाद भस्मासुर की कथा तथा भस्मासुर को भगवान विष्णु द्वारा मोहनी रूप रखकर उसे भस्म करने की कथा का विस्तार से वर्णन किया गया भगवान शिव का हनुमान अवतार का वर्णन किया गया कथा में आज भी वर्षा बांधा बनी कथा में प्रसादी रामचंद्र माहेश्वरी, गीता वर्मा, तथा अतिंद्र एवं बब्बू त्रिपाठी की ओर से वितरण की गई।

Leave A Reply

Your email address will not be published.