महाविद्यालय में ओजोन परत संरक्षण दिवस मनाया

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थांदला। विश्व में और समाज में जो भी वैज्ञानिक आविष्कार हुए हैं, उसके पीछे साहित्यकारों की अहम भूमिका है, क्योंकि साहित्यकार कल्पना करते हैं और वैज्ञानिक उसे साकार रूप देते हैं। अंग्रेजी के प्रसिद्ध लेखक एच.जी. वेल्स ने अपनी पुस्तक ” द फर्स्ट मेन ऑन द मून” में चंद्रमा पर मानव की कल्पना की और वैज्ञानिकों ने 1969 में नील आर्मस्ट्रांग और यूरी गागरिन के चंद्रमा पर कदम रखने के रूप में उसे साकार किया ।

इसी तरह उन्होंने एक अन्य पुस्तक में 1908 में वॉर इन द ईयर की कल्पना की और प्रथम विश्वयुद्ध 1914 में हवाई युद्ध के रूप में देखा गया। इसी तरह से हम देखते हैं कि समाज में जो कुछ भी अविष्कार होते हैं उनकी नींव या आधारशिला साहित्यकारों की कल्पनाओं द्वारा रखी जाती है। प्राचीन काल में हमारे पूर्वज सीमित प्राकृतिक संसाधनों से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते रहे हैं। वर्तमान में हमने आधुनिक वैज्ञानिक आविष्कार एवं औद्योगिकरण नगरीकरण के कारण उन प्राकृतिक संसाधनों का अति दोहन किया है और जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण संबंधी समस्याओं को देख रहे हैं ,उनका सामना कर रहे हैं इसमें ओजोन परत का क्षरण भी प्रमुख रूप से शामिल है उक्त विचार स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित ओजोन परत संरक्षण दिवस के कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ पीटर डोडियार ने व्यक्त किये।प्रो.एस.एस. मुवेल ने कहा कि प्रत्येक समस्या का समाधान हमारे पास है, यदि नहीं है तो हम स्वयं समस्या है । न्यूटन का तीसरा नियम है प्राकृतिक संसाधनों पर भी लागू होता है कि हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है और ओजोन परत का क्षरण भी हमारे ऐसे ही कार्य हैं, जिनकी प्रतिक्रिया स्वरूप ओजोन परत क्षतिग्रस्त हो रही है और जिससे हम विभिन्न पर्यावरण की समस्याओं से ग्रस्त है ।इन समस्याओं के समाधान हेतु हमें वृक्षारोपण करना है साथ ही ऐसे वस्तुओं का उपयोग कम से कम करें जिससे हानिकारक गैसें उत्सर्जित हो, जैसे एयर कंडीशनर ,फ्रिज, मोटरसाइकिल आदि काउपयोग कम करें ताकि क्लोरोफ्लोरोकार्बन तथा अन्य हानिकारक गैसों के उत्सर्जन पर नियंत्रण रखा जा सके। डॉ. मनोहर सोलंकी ने ओजोन तथा ओजोन परत के बारे में वैज्ञानिक तरीके से जानकारी दी।इस अवसर पर डॉ .छगन वसुनिया ने अपने व्याख्यान में यह बताया कि धरती मां हमें सब कुछ देती है हम भी तो इसे कुछ दे, इसी संदर्भ में उन्होंने झाबुआ जिले में पर्यावरण एवं जल संरक्षण के लिए “हलमा “आयोजन की जानकारी देते हुए हमें पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया ओजोन परत संरक्षण दिवस महाविद्यालय के स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ के अंतर्गत मनाया गया इसमें विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़कर सहभागिता करते हुए प्रस्तुति दी।कमलेश वसुनिया ने ओजोन परत संरक्षण के संबंध में कविता सुनाई। विजय बघेल,अतिष डामोर, अभिषेक,वर्षा परमार इत्यादि ने भाषण दिया ।अभिषेक एवं साथियों के द्वारा एक लघु नाटिका के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण एवं ओजोन पर संरक्षण प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अंतर्गत महाविद्यालय के डॉ. मीना मावी,प्रो.माला वर्मा, प्रो. अमर सिंह मंडलोई,प्रोफेसर दीपिका जोशी प्रो. रितु सिंह राठौड़ ,डॉ. सुनीता राज सोलंकी, डॉ.अर्चना अवस्थी,डॉ. नेहा वर्मा प्रो.हिमांशु मालवीय,प्रो. के.एस.स डोडवे, प्रो. सी एस. चौहान सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने सहभागिता की। स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ.संदीप चरपोटा ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए ओजोन परत संरक्षण से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया तथा आभार डॉ.राकेश चौरे ने व्यक्त किया।

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