जीवन में किसी भी परिस्थिति आ जाऐ धर्म को नहीं छोड़ना चाहिए:-पं. शैलेंद्र शास्त्री

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

जहां धर्म होता है वहां विजय निश्चित है भगवान भोलेनाथ के वाहन नंदी धर्म के प्रतीक है तथा शिवजी नंदी यानी कि धर्म पर बैठते हैं इसी नंदी ने मंदराचल पर्वत पर सोनकादिक ऋषियों को कथा सुनाई थी यदि शिव को पाना हो तो धर्म को पकड़ो यही कारण है कि हम जब शिवालय जाते हैं तो पहले नंदी के दर्शन करते हैं।

उक्त उद्गार आम्बुआ में आयोजित हो रही महाशिवपुराण कथा के दौरान व्यास पीठ पर विराजमान पंडित शैलेंद्र शास्त्री जी ने व्यक्त किया आगे उन्होंने कहा कि दस लोगों को धर्म से कोई मतलब नहीं होता है जिनमें नशेड़ी, लापरवाह, थका हारा, क्रोधी, भूखा, जल्दबाज, लालची, डरा हुआ एवं कामी व्यक्तियों को धर्म अच्छा नहीं लगता जीवन में किसी भी परिस्थिति आ जाए धर्म को नहीं छोड़ना चाहिए कथा आगे बताया कि देवराज नामक ब्राह्मण की कथा का वृतांत सुनाते हुए बताया कि ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के बावजूद वह शराबी वेश्यागामी बन गया माता-पिता की आज्ञा नहीं मानी तथा माता-पिता की हत्या कर दी कुछ दिन बाद धन संपत्ति समाप्त हो गई तो बीमार रहने लगा इसी हालत में वह शिव कथा सुनी तथा बाद में उसकी मृत्यु हो गई शिव कथा सुनने के कारण उसे शिवलोक मिला।

आगे श्री शास्त्री जी ने बताया कि मनुष्य योनि अंतिम योनी है मनुष्य की योनि कर्म योनी है जबकि जानवरों की भोग योनी कही जाती है मनुष्य के साथ कुछ भी नहीं जाता है धन रखा रह जाता है स्त्री दरवाजे तक तथा नाते रिश्तेदार शमशान तक जाते हैं घर में पांच देवताओं की पूजा करना चाहिए। विद्वान व्यास पीठ पर विराजित श्री शास्त्री जी ने आगे बिन्दुक नामक ब्राह्मण की कथा सुनाई वह भी दुराचारी था अपनी पत्नी को छोड़कर चला गया उसकी पत्नी चंचुला भी अधर्म के मार्ग पर चली और उसके बाद पश्चाताप हुआ तो उसने भगवान की शरण ली तथा मृत्यु के बाद पार्वती माता की सहेली बनी जहां उसने माता पार्वती से अपने पति के बारे में जानना चाहा तो भोलेनाथ ने बताया कि वह प्रेत योनि में भटक रहा है तब भोलेनाथ के कहने पर तुमुरुका जी ने शिव पुराण की कथा सुनाई तब वह प्रेत योनि से मुक्त हुआ इस तरह शिव पुराण समस्त दुखों को हरने तथा कल्याण करने वाली है कथा में आज के जजमान के रूप में त्रिपाठी परिवार ने पूजा अर्चना की महाप्रसादी दीपक परिहार द्वारा प्रदान की गई।

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