धर्म एवं तप नगरी थांदला में 9 व 10 सितंबर को सामूहिक सिद्धितप का भव्य महोत्सव होगा

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थांदला। आचार्य श्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य प्र्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी के आज्ञानुवर्ती अणुवत्सश्री संयतमुनिजी व मुनिमंडल एवं साध्वी निखिलशीलाजी व साध्वी मंडल के सानिध्य में यहां वर्षावास में त्याग, तपस्याओं का दौर जारी है। इस आत्मोत्कर्ष अणुवत्स वर्षावास 2024 में श्रावक-श्राविकाएं व बच्चें पूरे उत्साह के साथ आराधना कर रहे हैं। श्रीसंघ के अध्यक्ष भरत भंसाली व सचिव प्रदीप गादिया ने बताया कि यहां अणुवत्स संयतमुनिजी के सानिध्य में 64 तपस्वी सामूहिक ‘सिद्धि तप’ की कठोर तप आराधना कर रहे हैं। 45 दिवसीय इस तप आराधना का अंतिम दिन 9 सितम्बर है। 

महोत्सव को लेकर समाजजन में जबरदस्त उत्साह

श्रीसंघ के कोषाध्यक्ष संतोष चपलोत ने बताया कि नगर के इतिहास में पहली मर्तबा इतनी बड़ी संख्या में सिद्धितप की तपस्या हुई है। जो नगर के इतिहास के पन्ने पर स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गई है। समस्त सिद्धितप तपारधकों के अनुमोदनार्थ श्री संघ थांदला द्वारा ‘सिद्धितप महोत्सव’ 9 व 10 सितम्बर को आयोजित किया जा रहा है। महोत्सव को लेकर समाजजनों में जर्बदस्त उत्साह छाया हुआ है। 

महाचौवीसी का आयोजन होगा

नवयुवक मंडल के अध्यक्ष रवि लोढ़ा व सचिव संदीप शाहजी ने बताया कि सिद्धितप अनुमोदना के तहत नई मंडी प्रांगण सुतरेटी रोड़ पर 9 सितम्बर को समस्त सिद्धितप तपाराधकों के बियासने प्रात: 9 : 30 बजे से होंगे। वहीं तपस्या के अनुमोदनार्थ महाचौवीसी का आयोजन भी मंडी प्रांगण पर दोपहर 1 बजे से होगा। जिसमें बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं भाग लेकर तपस्वियों की अनुमोदना करेेगें। शाम को 4 : 30 बजे से स्वधर्मी वात्सल्य का आयोजन होगा। 

श्रीसंघ करेगा तपस्वियों का बहुमान

नवयुवक मंडल के कोषाध्यक्ष चर्चिल गंग ने बताया कि महोत्सव के दूसरे दिन 10 सितम्बर मंगलवार को स्थानीय महावीर भवन पर नवकारसी का आयोजन होगा। इसके पश्चात प्रात: 7 : 30 बजे स्थानीय पौषध भवन से समस्त सिद्धितप आराधकों की जयकार यात्रा निकलेगी। यात्रा में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं व बच्चें शामिल होंगे। यात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई मंडी प्रांगण पर पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित होगी। जहां मुनि व साध्वी मंडल के व्याख्यान होंगे। इसके पश्चात श्री संघ द्वारा समस्त सिद्धितप के तपस्वियों का बहुमान कर अभिनंदन पत्र भेंट किया जाएगा। वहीं प्रात: 11 बजे सामूहिक पारणे का व 11 : 30 बजे से स्वधर्मी वात्सल्य का आयोजन होगा। समारोह में शामिल होने के लिए कई श्रीसंघों के श्रावक-श्राविकाएं एवं तपस्वियों के स्वजन व स्नेहीजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहेंगे तथा तपस्वियों की अनुमोदना करेेंगे।

14 वर्ष से 75 वर्ष तक की उम्र के तपस्वी

इस सिद्धितप की तपस्या में 14 वर्ष से लेकर युवावर्ग सहित 75 वर्ष तक की उम्र के तपस्वियों ने यह तपाराधना की। वहीं इस तपस्या में दम्पति के साथ सास-बहू, देवर-भाभी, जेठ-बहू, बहन-बहन, जेठानी-देरानी आदि ने भी शामिल होकर तप आराधना का लाभ लेकर श्रीसंघ का गौरव बढ़ाया है।

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