देर रात तक ठहाकों से गूंजता रहा राजबाड़ा चौक

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2झाबुआ । अप्रैल माह की पहली तारीख को रात्रि में राजवाडा चौक हास्य के ठहाको से गूंज उठा। सकल व्यापारी संघ द्वारा मुक्तिरथ निर्माण के लिए आयोजित ठहाका सम्मेलन में पूरा नगर राजवाडा चौक पर उमड़ पड़ा। महिलाओं के लिए बैठक व्यवस्था होने से काफी महिलाओं ने भी ठहाका सम्मेलन का आंनद लिया। मंच से हास्य कवियों एवं गीतकारों ने अपनी प्रस्तुति देकर नगरवासियों का रात्रि 1 बजे तक हंसाया। शालीनता एवं हास्य के सामंजस्य से परिपूर्ण नगर मे होली मिलन समारोह के अवसर पर पहली अप्रैल को आयोजित इस हास्य से परिपूर्ण कार्यक्रम के प्रारंभ में मुक्तिधाम निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करने वाले समाजसेवी राजेन्द्र यादव का नगर की विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं की ओर से शाल श्रीफल एवं पुष्पमालाओं से नागरिक अभिनंदन किया। खचाखच भरे राजवाडा चैक में आयोजकों की ओर से प्रत्येक व्यक्ति पर पुष्पवर्षा करके होली की रस्म अदा की। मंच पर ठहाका सम्मेलन में हास्य के सशक्त हस्ताक्षर अजय अट्टपटू मुबई, दिनेश देशी घी बेरछा शाजापुर, मुकेश मासुम खातेगांव, मयंक मीत सागवाडा एवं सूत्रधार छत्रपाल शिवाजी डूंगरपुर ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत करके श्रोताओं को अविरल गुदगुदाया ।
हस्य कवि अजय अट्टपटू न सरस्वती वंदना प्रस्तुत करते हेए कहा ‘झूठ को दंड, सच को सम्मान दे, हम कवि है तु हमे अभिमान दे, जब कलम से लिखे सिर्फ सच ही लिखे शारदा मां तु हमकों ऐसा वरदान दे तथा जय जय विणापाणी वर दे तम के बादल घिर आये है पथ आलोकित कर दे मां प्रस्तुत कर तालिया बटोरी । छत्रपाल शिवाजी ने मां शारदा की वंदना करते हुए कहा हे मां शारदा मुझे सच्चा प्यार दे, इन सभी को तार दे, आगी बागी नेताओं को तू मां जमीन में गाड़ दे, प्रस्तुत कर ठहके लगवाए। मुकेश मासूमं की रचना ‘हिलोरे खा रहा हो मन तो समझ लेना कि होली है, पांव जब खुद करे नर्तन तो समझ लेना कि होली है को खुब दाद मिली उनकी रचना लालू तुम्हारा टेस्ट क्यू इतना बदल गया, रबडी थी साथ तेरे और चारा निगल गया को खूब पसंद किया गया। उनकी एक पेरोडो हो हवा बाज रे 7 एक नेता बडा हवाबाज रे, कल जो किया था वादा जनता से भुल गया आज रे तथा हे रामदेव की टेकनिक पुरानी एवं पैरोडी दैया दैया दैया रे देश विरोधी नारे लगता कैसा कन्हैया रे को काफी तालिया मिली । उनकी किसान पर लिखी कविता भारत का भाग्य विधाता कांधे पर हल ण्रके जो मेहनत से अन्न उगाता को काफी पंसद किया गया वही उनकी कई पेरोडियों ने जमकर तालिया बजवाई। सागवाडा राजस्थान के युवा कवि मयंक मीत की रचना ‘जब हम कुंआरे हुआ करते थे, करवटे बद आहे भरा करते थे तथा ज्ञान के मुकाबले में दुनिया में कोई देश मेरे इण्डिया के सामने टीक नही पाया को पसंद किया गया। लाफ्टर स्टार अजय अट्टपटू की पैरोडही कविता की रात सुहानी रे धीन धीन धीन धा, थोडा संभल कर दिल जानी रे धीन धीन…… तथा हो मेरी बेबी बडी धमाल पूरे सौ किलो का वो है माल मेरा क्या होगा उसकी काया है विकराल। वो सोनिया सी पावर फुल मै मनमोहन सा ढीलू मजबुरी में ही गाना पडा है इलू इलू इलू। उनकी बैटरी एवं चार्जर पर सुनाई हास्य कविता का जमकर लोगों ने लुफ्त उठाया । उनकी गंभीर रचना ” टीवी पर आने वाले हम दो हमारे दो के विज्ञापन ने केवल इतना भर किया है, परिवार का मतलब मां बाप और दो बच्चों से जोड दिया है । मां बाप को ऐसे बेटो ने लेंड लाईन के टलीफोन कनेक्शन की तरह काट दिया है ”को काफी तालिया मिली।अंतिम कवि दिनेश देशी घी ने अपनी हास्य कविता ” नाम में क्या रखा है, काम मे दम होना चाहिये, बेशक चीन से बात करों मोदीजी किन्तु, एक हाथ में परमाणु बम होना चाहिये । वही उनकी पैरोडी कोई गैल्या समझता है, कोई बेंण्ड्या समझता है हुई शादी नही जब तक लोग सांड्या समझता है ‘ने लोगों को खुब हंसाया । उनकी रचना पहले तो मुछे गई फिर हुआ विकलांग, जिससे मैने व्याह किया उसके भाई ने तोडी टांग । उनकी रचना”’मां- महात्मा परमात्मा इन तीनों की महिमा न्यारी है । पर सोचेगें दिल से तो इन तीनों में मां सबसे भारी है । उनकी रचना मां की दुआ कभी खाली नही जाती, उसकी बद्दुआ भी टाली नही जाती, । वही उनकी एक रचना मेरी भारत माता का अंदाज निराला है, हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई को एक ही आंचल में पाला है, ने खूब तालियां बंटोरी। उनकी पैरोडिया ने भी लोगों को हंस हंस कर लोट पोट होने को मजबूर कर दिया ।

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