जहां तहां भोजन फेंक कर भोजन की बर्बादी, फेंका गया भोजन जानवर भी नहीं खा रहे

मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

भोजन की कीमत और उसकी अहमियत किसी भूखे लाचार को पता होती है जिनका घर अनाज तथा भोजन बनाने वाली सामग्री से भरे होते हैं और जिनका पेट भरा होता है उन्हें भोजन की कीमत क्या होती है यह उन्हें तब पता चलेगा जब कभी देव योग से खुदा ना खास्ता भूख मरी से दो चार होना पड़ेगा।

         हम बात कर रहे हैं हमारे छोटे से कस्बा आम्बुआ की जहां की आबादी में धनाढ्य लोगों की संख्या बहुत कम है और है भी तो उन्होंने धन कैसे कमाया कैसी मेहनत कर वे यहां तक पहुंचे हैं यह वह जानते हैं मगर वह परिवार जो मध्यम वर्ग स्तर के होने के बावजूद घरों में परिवार के सदस्यों की संख्या के अनुपात में भोजन बनाकर इतना अधिक बना लिया जाता है कि खाने के बाद ढेर सारा बच जाता है यह बचा भोजन ताजी हालत में किसी जरूरतमंद या गौ माता आदि जानवरों को दे दिया जाए तो उसका उपयोग हो जाए मगर देखा जा रहा है सुबह घरों से बाहर वीराने में, चबूतरो या गटरो में सुखा भोजन फेंक दिया जा रहा है ऐसे भोजन को गाय कुत्ते आदि जानवर भी नहीं खाते हैं और वह इधर-उधर पड़ा रहता है जिसे देखकर किसी का भी मन द्रवित हो जाना स्वाभाविक है इस प्रतिनिधि ने ऐसे कई स्थान सुबह-सुबह देखा जहां भोजन में रोटियां, पूड़िया, चावल, सब्जी फेंका जा रहा है इतने भोजन में एक नहीं अपितु दो-चार लोगों का पेट भर सकता है आम्बुआ पत्रकार संघ की लोगों से अपील है भोजन की कीमत को समझें और फैंके नहीं अपितु जरूरतमंदों को समय पर दे दे।

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