भागवत कथा मनुष्य के जीवन को सार्थक  बनती है, कथा श्रवण करना मनुष्य जीवन के उद्धार की सीढ़ी है : पंडित अमन आदित्य नारायण

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भूपेंद्र नायक, पिटोल

पिटोल के पास के गांव कालिया में जाटव परिवार द्वारा आयोजित 19 से 25 दिसंबर तक भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा सुनने के लिए रोजाना पिटोल नगर के श्रद्धालुओं के साथ गुजरात एवं राजस्थान के भी भागवत प्रेमी श्रद्धालु सैकड़ों की संख्या में आकर भागवत कथा का श्रवण किया। 19 तारीख को कलश यात्रा से प्रारंभ होकर जिसमें सात दिवस की कथा के अंतर्गत शिव पार्वती विवाह लीला अवतार राम कथा कृष्ण जन्मोत्सव भगवान कृष्ण की बाल लीलाएं एवं 56 भोग रुक्मणी विवाह तथा सुदामा चरित्र के साथ कथा संपन्न हुई। 

इस कथा को 19 वर्षीय युवा कथाकार पंडित  अमन आदित्य नारायण के मुखारविंद से उन्होंने भागवत कथा के  बारे कहा श्रीमद भागवत कथा पूरे श्रद्धा एवं भक्तिभाव से श्रवण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। संसार में कई ऐसे व्यक्ति हुए हैं जिन्होंने मोक्ष पाया है। अतः भागवत कथा एवं सत्संग सात  दिवसीय श्रीमद भागवत कथा में उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित ने केवल एक बार कथा श्रवण किया तो उन्हें मुक्ति मिल गई। परंतु हम कई-कई बार कथा श्रवण करते आ रहे हैं। परंतु हमारे कर्म, हमारे विचार, हमारे आचरण आदि में किसी प्रकार का बदलाव नहीं आता। अतः यह बदलाव तभी आएगा जब आप सत्संग रूपी गंगा में स्नान करेंगे। उन्होंने कहा कि भगीरथी गंगा और सत्संग रूपी गंगा में अंतर है। भगीरथी गंगा में जब आप स्नान करने जाएंगे और तैरना नहीं जानते है तो अंदर से भय उत्पन्न होगा। परंतु जब आप सत्संग रूपी गंगा में स्नान करेंगे तो हम निर्भय हो जाते हैं। हमें परम आनंद की प्राप्ति होती है और जीवन का महत्व पता चलता है। अतः कथा श्रवण एवं सत्संग का भी साथ करें तभी जीवन में कल्याण होगा। 

भगवान के चरणों में जितना समय बीत जाए उतना अच्छा है। इस संसार में एक-एक पल बहुत कीमती है। जो बीत गया सो बीत गया। इसलिए जीवन को व्यर्थ में बर्बाद नहीं करना चाहिए। भगवान द्वारा प्रदान किए गए जीवन को भगवान के साथ और भगवान के सत्संग में ही व्यतीत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भागवत प्रश्न से प्रारंभ होती है और पहला ही प्रश्न है कि कलयुग के प्राणी का कल्याण कैसे होगा। इसमें सतयुग, त्रेता और द्वापर युग की चर्चा ही नहीं की गई है। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि बार-बार यही चर्चा क्यों की जाती है, अन्य किसी की क्यों नहीं। इसके कई कारण हैं जैसे अल्प आयु, भाग्यहीन और रोगी।

इसलिए इस संसार में जो भगवान का भजन न कर सके, वह सबसे बड़ा भाग्यहीन है। भगवान इस धरती पर बार-बार इसलिए आते हैं ताकि हम कलयुग में उनकी कथाओं में आनंद ले सकें और कथाओं के माध्यम से अपना चित्त शुद्ध कर सकें। व्यक्ति इस संसार से केवल अपना कर्म लेकर जाता है। इसलिए अच्छे कर्म करो। भाग्य, भक्ति, वैराग्य और मुक्ति पाने के लिए भगवत की कथा सुनो।

श्रीमद्भाग्वतम् सभी वेदों का सार है। इस रसामृत के पयपान से जो मनुष्य तृप्त हो गया है, उस मनुष्य को किसी अन्य वस्तु में आनन्द आ ही नहीं सकता। भागवत कथा सुनने मात्र से जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते है। भागवत सुनने से लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। इस कलयुग में भागवत पुराण की कथा सुनते ही मनुष्य भवसागर पार हो जाता है। इस सात दिवसीय संगीत मयी कथा में संगीतकार मण्डल मे पंडित विनोद जोशी पिंटू भाई राजकुमार वर्मा सोनू परमार अतुल व्यास द्वारा संगीत सयोजन किया, 25 तारीख को दोपहर 3  बजे भागवत कथा  आरती के बाद  पूर्णावती हुई उसके बाद भागवत पोथी का भव्य शोभायात्रा निकाली गई आयोजक परिवार गरवर पटवारी एवं उनकी धर्मपत्नी सूरज जाटव द्वारा महाप्रसादी भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने महाप्रसाधी ग्रहण की जाटव परिवार द्वारा सभी  कथा सुनने वाले श्रद्धालुओं का आभार माना गया।

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