धन बढ़ने से अहंकार बढ़ता है और वह कार्य खराब करता है- पंडित अमित शास्त्री

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मयंकव विश्वकर्मा, आम्बुआ

मनुष्य धन कमाने में दिन-रात लगा रहता है दिन भर दुकानों में लगे रहे खूब कमाया धनवान हो गए यह धन जब आता है तो मनुष्य में घमंड बढ़ता है और  वह धन कई बार गलत मार्गों पर डाल देता है इसलिए धन कमाओ मगर सत्संग में भी मन लगाओ मनुष्य का असली कार्य क्या है उसे केवल खाने पीने पहनने ओढ़ने आदि कार्य नहीं करना है।

उक्त विचार आम्बुआ में आयोजित हो रही भागवत पुराण कथा के दौरान तृतीय दिवस व्यास पीठ पर विराजमान पंडित अमित शास्त्री ने व्यक्त करते हुए आगे उन्होंने विदुर जी की कथा सुनाई जिन्होंने कौरवों को समझाया कि वह पांडवों को उनका हक दे दे जिस पर दुर्योधन ने घर से बाहर निकाल दिया तब विदुर जी दुखी होकर चले तो उन्हें उद्धव जी मिले जिन्होंने बताया कि अच्छा हुआ जो तुम्हें निकाल दिया वह सब मरने वाले हैं तुम अब भगवान का भजन करो तथा उन्हें मैत्रय ऋषि के पास भेज दिया ऋषि ने कहा कि अपने आप को पहचानो तुम साक्षात यमराज हो।

आगे श्री शास्त्री जी ने बताया कि भगवान कहते हैं कि मैं भी यदि गलती करता हूं तो मुझे भी दंड मिलता है मैंने राम अवतार में बाली को छुप कर मारा था तो कृष्ण अवतार में मुझे बहेलिया ने तीर मारा था वर्षा में जिस तरह छाता बचाता है उसी तरह भागवत कथा कलयुग में बचाती है जब दुख हो तो मंदिर में जाकर बैठो मंदिर का गुंबज भी छाते की तरह होता है वह दुखों से रक्षा करेगा कथा में आगे कश्यप ऋषि की कथा सुनाई तथा सनकादिक ऋषियों की कथा के बाद कपिल मुनि की कथा के बाद जय विजय की कथा उसके बाद सती की कथा जिन्होंने भगवान श्री राम की परीक्षा ली तथा अपने पिता दक्ष के घर यज्ञ में बिना बुलाए जाकर यज्ञ में जलकर शरीर त्याग करने की कथा के बाद सती के अगले जन्म हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म की कथा जिन्होंने 350 साल तक कठिन तप किया।

‌‌भोलेनाथ की समाधि को कामदेव ने तोड़ा जिसके बाद संतो ने भोले बाबा को बताया कि पार्वती आपकी तपस्या में लीन होकर आपको पाना चाहती है भोलेनाथ ने पार्वती जी की परीक्षा ली नारद जी को भेजा तथा विवाह की बात की जाकर भोलेनाथ की बारात निकाली जाकर उनका विवाह संस्कार की कथा सुनाई। आज की कथा विश्राम के समय भोले बाबा का विवाह संपन्न हुआ।

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