चातुर्मास : ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप की विभिन्न आराधना में श्रावक-श्राविकाएं उत्साहपूर्वक कर रहे सहभागिता

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थांदला। आचार्यश्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य प्रवर्तकश्री जिनेन्द्रमुनिजी की आज्ञानुवर्ती साध्वीश्री निखिलशीलाजी, दिव्यशीलाजी, प्रियशीलाजी, दीप्तिजी ठाणा 4 के सानिध्य में चातुर्मास के चलते श्रीसंघ में विभिन्न आराधनाओं के साथ तपस्या  व बहुमान का क्रम जारी है । ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप की विभिन्न आराधना में श्रावक-श्राविकाएँ उत्साहपूर्वक भाग ले रहे है। साध्वी मंडल के सानिध्य में प्रतिदिन राईय प्रतिक्रमण, प्रार्थना, व्याख्यान प्रातः 09 से 10 बजे तक, दोपहर में वाचनी एवं ज्ञान चर्चा, शाम को देवसीय प्रतिक्रमण, चौवीसी स्तुति आदि विविध धर्माराधनाएं हो रही है जिसमे श्रावक-श्राविकाएं व बच्चे उत्साहपूर्वक आराधना कर रहे है। वर्षावास प्रारंभ दिवस से तेला व आयंबिल की लड़ी चल रही है। 

आठ उपवास की तपस्या पूर्ण

यहां साध्वी मंडल के सानिध्य में कु. उर्वी राजेश गादिया ने मंगलवार को 8 उपवास की तपस्या पूर्ण की। तपस्या पूर्ण होने पर श्रीसंघ की ओर से शैली गादिया ने 5 उपवास की बोली लेकर शॉल ओढाकर माला पहनाकर बहुमान किया । तपस्वी का घोडावत, गादिया व भंसाली परिवार द्वारा भी बहुमान किया गया । यहां पर तीन मासक्षमण, एक सिद्धि तप सहित कई तपस्‍याएं पूर्ण हो चुकी हैा

तपस्या के प्रत्याख्यान ग्रहण किये

साध्वी मंडल के सानिध्य में यहां तपस्याओं का दौर चल रहा है। मंगलवार को धर्मसभा में साध्वी निखिलशीलाजी के मुखारविन्द से कला खेमसरा ने 4 उपवास व श्रीसंघ के पूर्व अध्यक्ष महेश व्होरा व रीता व्होरा ने 3-3 उपवास व कई अन्य आराधको ने विविध तप के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। मंगलेश श्रीश्रीमाल व अनुपमा श्रीश्रीमाल सजोडे धर्मचक्र की आराधना कर रहे है । मंगलवार से एक गुप्त तपस्वी  ने तेले की लडी में तेला प्रारंभ किया ।

आयंबिल की लड़ी में राजेन्‍द्र श्रीमाल ने आयंबिल तप किया। सभा का संचालन श्रीसंघ अध्यक्ष जितेन्द्र घोड़ावत ने किया। 

जैनम ग्रुप का 52वा रविवारीय शिविर सम्पन्न हुआ

साध्वी  निखिलशीलाजी आदि ठाणा 4 के पावन सानिध्य में रविवार को जैनम ग्रुप द्वारा 12 से 20 वर्ष के बच्चों का एवं पाठशाला के बच्चों का रविवारीय शिविर पौषध भवन स्थानक पर आयोजित हुआ ।  प्रभावना व स्वल्पाहार का लाभ  श्रेया कांकरिया की बेले-बेले की तपस्‍या व मास्टर अमय एवं ताशी कांकरिया के सिद्धि तप की तपस्‍या के उपलक्ष में  बुद्धिलाल कांकरिया परिवार थांदला द्वारा लिया गया ।

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