जिस मनुष्य के मुख पर शिव का नाम न हो उसका मुख भी ना देखे – आचार्य जैमिन शुक्ल

0

थांदला। श्रावण अधिक मास के चलते पूरा नगर भक्ति में हो चुका है छोटी काशी कहे जाने वाले थांदला नगर में धर्म की गंगा बह रही है। पवित्र अधिक श्रावण मास के पावन पर्व पर चल रही शिव कथा का रसपान आचार्य जैमिन शुक्ल द्वारा कराया जा रहा है।

आज तृतीय दिवस की शिव कथा में आचार्य जी ने नवधा भक्ति का वर्णन किया। भक्ति गाना प्रकारों को विभिन्न ना उदाहरणों के साथ एवं विभिन्न शास्त्र जैसे कि रामायण और भागवत के अनेक प्रमाण द्वारा सुंदर तरीके से नवधा भक्ति का वर्णन किया और अंत में कहा कि इस नवधा भक्ति में से एक प्रकार की भक्ति भेजो भक्त ग्रहण करें तो उसका इस भव बंधन में से छुटकारा होना निश्चित है। इसी के साथ भगवान शिव शंभू की मानस पूजा किस तरह की जाए वह वर्णन भी किया जो भक्त भगवान की नाना भी तो द्रव्यों से पूजन करने सक्षम नहीं है। वह सांब सदाशिव भोले नाथ की मानसोपचार पूजा करें। आचार्य जी ने बताया पूरे हृदय भाव के साथ अगर पशुपतिनाथ की मानस पूजा की जाए तो भय से हरने वाले एवं मोक्ष को प्राप्त कर आती है इसी के साथ नित्य संकीर्तन द्वारा शिव भक्तों ने आदर पूर्वक कथा सुनी एवं नाचते गाते हुए कथा का श्रवण किया। आगे उपदेश देते हुए आचार्य जी ने कहा भाव से हृदय से और प्रेम से भगवान का नाम जप करो गीता का उदाहरण देते हुए कहा यज्ञानाम जप यज्ञोस्मी भगवान श्री हरि कहते हैं की यज्ञ में मैं जप यज्ञ हूं बड़े-बड़े यज्ञ में जप यह को बड़ा महत्व दिया गया है एवं आचार्य जी ने यह भी बताया की जीस सरिता के किनारे शिव का मंदिर ना हो उसे सरिता का जलपान नहीं करना चाहिए। जिस गांव में शिव का मंदिर ना हो वह गांव श्मशान समान है एवं जिस मनुष्य के मुख पर शिव का नाम ना हो वह मनुष्य का मुख भी देखना नहीं चाहिए इसी के साथ भजन कीर्तन करते हुए शिव कथा का रसपान कराया गया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.