लक्ष्मी नारायण मंदिर में श्री भागवत कथा का समापन, चल समारोह निकला

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जीवन राठोड सारंगी

माता पिता और गुरु को नमन करने वाला सौभाग्यशाली होता है किंतु हम पढ़ लिख गए हैं तो उनके सामने झुकने में शर्म आती है भगवान श्री राम कृष्ण और भी जिन्होंने अपने माता पिता और गुरु का आशीर्वाद मिला वह धन्य हुए हैं कोई पुराण नहीं कहता कि बच्चों को सजा दो बल्कि उन्हें सीख दो संस्कारी हमारे व्यक्तित्व का आधार है क्योंकि संस्कारों के बिना शिक्षा अधूरी है यही भावी पीढ़ी हमारे जीवन में उद्धार करेगी माता यशोदा ने भगवान कृष्ण की बाल लीला में माखन चुराने पर उन्हें मातृत्व प्रेम से उन्हें सिखाने का प्रयास किया और प्रेम की डोरी से मां यशोदा ने भगवान कृष्ण को बांधा था यह बात लक्ष्मी नारायण मंदिर पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के समापन दिवस पर कथा का वाचन करते हुए भागवताचार्य पंडित श्री केशव चतुर्वेदी ने कही
पंडित चतुर्वेदी जी ने अपने कथा मैं कृष्ण जन्म से लेकर कंस वध एवं भगवान श्री कृष्ण का रुक्मणी विवाह के प्रसंग को विस्तृत रूप से बताया उन्होंने बताया कि राजा बलि पूर्व जन्म में एक डाकू थे किंतु अनायास ठोकर लगने पर फूल की पत्ती शिवजी पर चढ़ गई और मोक्ष प्राप्त हुए तीन क्षण के इस पुण्य से इंद्र का तीन क्षण के लिए मिला जो उन्होंने उनकी सामग्री को श्री शिव को भेंट कर दिया तो वह अगले जन्म में राजा बलि हुए थोड़ा सा पुण्य करो तो उसका फल प्राप्त होता है पंडित चतुर्वेदी जी ने कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म को बढ़ावा मिलता है भगवान धरती पर जन्म लेकर पापियों का अंत करते हैं कंस के अत्याचार से दुखी होकर जब भक्तों ने प्रभु को याद किया तो भक्तों के दुख दूर करने व माता देवकी और वसुदेव जी के मनोरथ पूर्ण करने के लिए भगवान श्री कृष्ण के रूप में अवतार लेकर आए गोवर्धन पूजा का प्रसंग सुनाते उन्होंने कहा कि एक बार इंद्र को अभिमान हो गया इसी अभिमान को दूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज वासियों से गिरिराज महाराज की पूजा कराई इंद्र ने घनघोर वर्षा की पर भगवान ने अपनी उंगली पर 7 दिन और 7 रात तक गिरिराज पर्वत धारण कर सभी ब्रज वासियों की रक्षा की और इंद्र के अभिमान को दूर किया
भागवत कथा के समापन दिवस पर समिति द्वारा पंडित जी का व्यास पीठ पर स्वागत साल श्रीफल भेंट कर सम्मान किया सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भजन एवं गरबा रास एक दिन भोले भंडारी बनकर सुंदर नारी एवं द्वारकानाथ मारो राजा रणछोड़ छे पर झूम कर नाचे पूरे नगर में भक्तों द्वारा भागवत पुराण एवं पंडित जी का ढोल धमाकों के साथ चल समारोह निकाला गया चल समारोह में भक्तगण नृत्य करते हुए चल रहे थे

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