आचार्य उमेशमुनिजी की जन्मजयंती जप-तप-त्याग-तपस्या के साथ मनाई

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झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट –  आचार्य उमेशमुनिजी के सुशिष्य प्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी की आज्ञानुवर्तिनी साध्वी निखिलशीलाजी, दिव्यशीलाजी, प्रियशीलाजी, दीप्तीजी ठाणा-4 जवाहर मार्ग स्थित महिला स्थानक पर विराजित है। आपके पावन सानिध्य में यहां प्रतिदिन विविध धार्मिक कार्यक्रम हो रहे है जिसमें श्रावक-श्राविकाएं उत्साहपूर्वक भाग ले रहे है। श्रीसंघ के अध्यक्ष रमेशचन्द्र चोधरी और सचिव राजेन्द्र व्होरा ने बताया कि साध्वी मंडल के सानिध्य में आचार्य उमेशमुनिजी की 84वीं जन्म जयंती जप-तप-त्याग-तपस्या के साथ मनाई जा रही है। जन्म जयंती के प्रसंग पर तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है जिसकी शुरूआत सोमवार से हुई। इस अवसर पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी निखिलशीलाजी ने कहा कि व्यक्ति जन्म से महान नही होता परंतु गुणो के अभ्यास से गुणी बनता है पुरूषार्थ करने से गुणी होता है अर्थात गुणो का पुरूषार्थ करने से क्षमा, विनय, सरलता, निर्लोभता आदि गुण आते है। पुरूषार्थ नही है तो गुण कहा से आएगे। साध्वीजी ने कहा कि क्रोधादि को रोकने का अभ्यास करने पर क्षमा आदि गुण आएगे। जिस प्रकार नदी को सागर बनने में पल भर का समय नही लगता है परंतु सागर से मिलने में लंबा समय लग सकता है। इसी प्रकार से गुणो का अर्जन करने के लिए भी लंबे समय का पुरूषार्थ चाहिए। साधना में अप्रमत बनकर गुणो का अर्जन करना चाहिए। आचार्य उमेशमुनिजी ने भी लंबे समय तक अप्रमत्त बनकर आत्मिक गुणो का विकास किया और भव्य आत्माओं को भी अप्रमत्त बनकर साधना और आराधना करने की प्रेरणा दी। आज के दिन कईयों का जन्म हुआ होगा परंतु जन्म लेकर के उसको जो सार्थक करता है उसका नाम विशेष रूप से स्मरण किया जाता है। व्यक्ति को जीव, परलोक, कर्मफल आदि पर श्रृद्धा होगी तो उसकी सारी प्रवृत्तिया मर्यादित होगी परंतु जीव आदि पर श्रृद्धा नही होगी तो उसकी सारी प्रवृत्तिया अमर्यादित होगी। आपने कहा कि संसार में पुण्य पाप का खेल चल रहा है पाप के फल से जीव दुखी है और पुण्य के फल से जीव सुखी है। इस अवसर पर साध्वी प्रियशीलाजी ने धर्मसभा में कहा कि आचार्य श्री उमेशमुनिजी एक महान संत थे वे अंतिम समय तक अप्रमत्त रहै और अप्रमत्त बनकर साधना की और अपनी साधना को सफल बनाया। उनमें त्रीव ज्ञान की रूचि बचपन से रही हुई थी। छोटी सी उम्र में ही बहुत सारा ज्ञान का अर्जन कर लिया था। उनका ज्ञान बहुत उच्च कोटी का था। व्याख्यान के पश्चात साध्वी मंडल ने आचार्य श्रीजी के जीवन पर आधारित स्तवन प्रस्तुत किया उसके पश्चात साध्वी श्री निखिलशीलाजी ने स्तवन पर आधारित प्रश्न पूंछे सही उत्तर देने वाले श्रावक-श्राविकाओं को श्री ललित जैन नवयुवक मंडल द्वारा पुरस्कृत किया गया। प्रश्नमंच के बाद श्री उमेशचालीसा का पाठ हुआ। धर्मलता जैन महिला मंडल द्वारा स्तवन प्रस्तुत किया गया। संचालन श्रीसंघ के पूर्व सचिव प्रदीप गादिया ने किया।

पोरसी तप की तपस्या

सोमवार को कार्यक्रम के प्रथम दिन श्रावक-श्राविकाओं ने पोरसी तप की तपस्या की। दोपहर को दौलत भवन पर नवकार महामंत्र के जाप हुए। मंगलवार को श्रावक-श्राविकाएं सामुहिक उपवास तप की तपस्या और तीन-तीन सामायिक की आराधना करेगे। मंगलवार को पक्खी पर्व भी मनाया जाएगा। संध्या को 6ः30 बजे से पक्खी प्रतिक्रमण प्रारंभ होगा।

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