जन्म, मरण, रोग और बुढ़ापा ये चार प्रकार के दुःखो से जीव डरता है- संयत मुनिजी

0

मेघनगर@लोहित झामर

एक माह पूर्व अणुवत्स पूज्य संयत मुनीजी, जयंत मुनीजी, शुभेष मुनीजी एवं नवदीक्षित अचल मुनीजी म.सा. का मेघनगर मंगल प्रवेश हुआ। प्रवेश के साथ ही सकल जैन श्री संघ में ज्ञान दर्शन तप एवं धर्म आराधना की झड़ी लग गई है जिसमें कई तपस्वियों ने छोटी बड़ी तपस्या पूर्ण एवं गतिमान है।

तपस्वी उर्वर्शी हार्दिक नांदेचा ने 11 उपवास की तपस्या पूर्ण की। बहुमान श्री संघ द्वारा संघ भेंट से किया गया जो की तप की बोली से हुआ जिसमें सुरेंद्र कटारिया ने 11 उपवास, नीलम झामर 7 उपवास, हार्दीक नादेचा 8 उपवास से बहुमान किया। इस अवसर पर अणु स्वाध्याय भवन पर उपस्थित धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए मुनिश्री ने जीव चार प्रकार के दुःख से डरता है पहला जन्म का दुःख मरण का दुःख जो हमने देखा नही पर सहन किया है तीसरा दुःख बुढ़ापे का ओर अंतिम चौथा रोग का दुःख जो बहुत वेदना वाला होता है । रोग होने पर रोग स्वयं को ही भोगना पड़ेगा ओर बुढ़ापा आने पर वो दुसरो को नहीं दे सकते दुःख से बचने का सभी उपाय करते है पर दुःख आये नहीं ऐसा कोई उपाय हम ढूंढ़ते नही क्रोध, मान, माया ,लोभ ये चार चौकड़ी जीव को भगवान के समीप नहीं जाने देती भगवान की तरह हमे भी सुखी बनना है तो हमे जन्म मरण को टालना होगा। जो वैराग्य से ही संभव है मुनिश्री द्वारा प्रतिदिन भगवान की वाणी सुनाई जा रही है ओर धर्म मार्ग की प्रेरणा दी जा रही है।

आज की प्रभावना श्री अणु जिनेन्द्र कृपा मंडल द्वारा विररित की गई। स्नेहलता वागरेचा 29 प्रीतीजी धोका, कु. दर्शना जी नाहटा,श्री सुमितजी ब्रिजवानी 27 उपवास के प्रत्यख्यान ग्रहण किये।

कमलेश भंडारी अर्पितजी सोनी, अर्चिता जी सोनी 11 सीमाजी जैन,कु. सिद्धि वागरेचा 10 उपवास, सुरेन्द्र कटारिया, राहुल वागरेचा, साधनाजी सोनी 9 उपवास सुदर्शन मेहता, प्रज्ञा भंडारी 8 उपवास, तृप्ति बड़ोला 6 उपवास, निता जैन 5 उपवास साथ ही सिद्धितप, धर्मचक्र, एकासन मास खमण, कई तप आराधना निरंतर गतिमान है। तेले की लड़ी में ज्योतीजी संघवी का तेला चल रहा है।

मेघनगर श्री संघ में आगामी 7 अगस्त से सामूहिक सिद्धितप तप की आराधना होने जा रही है। पूज्य श्री के दर्शन,वंदन के लिए आज संतरामपुर, बलवाड़ी कल्याणपुरा, झाबुआ,थांदला, कई श्रावक,श्राविका पधारे सभी के आतिथ्य सत्कार की व्यवस्था श्री संघ द्वारा श्री महावीर भवन पर की गई।कार्यक्रम का संचालन विपुल धोका ने किया

Leave A Reply

Your email address will not be published.