किसी का तो कुछ नही छोड़ा तो किसी का सबकुछ छोड़ दिया

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पेटलावद। चार दिन तक चली अतिक्रमण मुहिम शनिवार को पुरी तरह ठंडी हो गई। मुहिम के तहत किसी का सबकुछ तबाह कर दिया गया तो किसी का कुछ नही किया। ऐसे में वे लोग प्रशासन की कारवाई पर प्रश्रचिन्ह लगा रहे है जिन्हाने इस अभियान में बहुत कुछ खो दिया है। अतिक्रमण हटाओं मुहिम में शुरू से ही भेदभाव देखने को मिला। गरीब तबके के लोगो पर बेबरता पुर्वक कारवाई की गई तो रसुदखोर लोगो के खिलाफ प्रशासन ने अपने आपको बोना बनाकर रखा। प्रशासन के अधिकारीयों ने सबसे ‘यादा ‘यादती गांधी चोक में गुमटीधारीयों के खिलाफ दिखाई। यहां गरीब तबके के लोग जेसे तेसे कर अपना जीवन ज्ञापन कर रहे थे। कुछ लोगो की रोजी रोटी के साथ छत का आसारा भी यहीं था। एक विकलांग दम्पती छोटी सी गुमटी लगाकर रोजी रोटी कमाने के साथ दुकान में ही अपना जीवन ज्ञापन कर रहा था। लेकिन अतिक्रमण दल ने उसका सबकुछ तहश नहश कर दिया। यहां से तबहा किये गये गरीब अब प्रशासन को बुदआ के साथ भेदभाव का भी आरोप लगा रहे है।
ये पक्का अतिक्रमण क्यों नही हटा ?
प्रभारी कलेक्टर अनुराग चौधरी के निर्देश पर नगर में चारो ओर अतिक्रमण मुहिम चली। कलेक्टर के इस निर्देश का पालन अधिकारीयों ने भेदभाव पुर्ण तरीके से किया। कहीं कहीं तो ऐसा लगा मानों कुछ कर्मचरीयों को अपनी नीजि दुश्मनी निकालने का मौका मिल गया हो। अनुराग चोधरी की इस मुहिम से अब नगर के प्रमुख मार्ग पहले से कई अधिक छोडे दिखने लगे है। लेकिन अब भी कुछ पक्के निर्माण जोकि अतिक्रमण की श्रेणी में आ रहे है उनका नही हटाया गया है। गुमटीधारी रवि, रघु, लीलाबाई,लाला आदि ने बताया कि अब भी पक्का अतिक्रमण शान से खड़ा कलेक्टर चौधरी के इस अभियान को मुह चीड़ा रहा है। यहां के अधिकारीयों ने अतिक्रमण के नाम पर केवल गरीबो को ही तबाह किया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के समीप सालों से एक भवन शासकिय जमीन पर अतिक्रमण कर बना गया। रहने के लिये बना यह मकान अब व्यवसाय के भी उपयोग में खुगेआम लिया जा रहा है। दो दुकानों का निर्माण कर हजारों रूपये भी वसुले जाते है। बताया जाता है कि यहां रहने वाले परिवार को शासन द्वारा पट्टा दिया गया था। लेकिन थोडा-थोडा कर यहां सारी सरकारी जमीन पर कब्’ाा कर पक्का निर्माण कर लिया गया। जिसके कारण हरिजन समाज के लोगो के मंदिर तक आनेजाने का रास्ता तक बंद हो गया। समाज के लोगो ने एसडीएम को इसके लिये ज्ञापन भी दिया। अतिक्रमण मुहिम में यहां भी कारवाई होनी थी। जिसके चलते दुकाने खाली भी हो गई थी। लेकिन अचानक ऐसा कुछ हुआ कि यहां कोई कारवाई नही हुई। इसी के सामने नगर पंचायत द्वारा बनाई गई दुकानों के गलीयारों को दुकान दारों ने दिवाले खडी कर अतिक्रमण की चपेट में लेकर दुकाने चार फिट तक आगे बड़ा ली। यहां भी करवाई करने की लोगो ने मांग अधिकारीयों से की थी। नगर परिषद के पार्षदों ने भी इस पर कारवाई करने की मांग की लेकिन अधिकारीयों ने यहां भी कुछ नही किया। जबकि जिला मुख्यालय पर इसी तरह के अतिक्रमण को सख्ती के साथ हटाया गया। इसी तरह थांदला मार्ग पर नाले पर हुए अतिक्रमण को लेकर नगरवासीयों ने अधिकारीयों से कारवाई करने को कहा। अतिक्रमण का दल यहां भी पंहुचा। बस कुछ समय का अल्टिमेंट देकर वापस लोट गया ओर कोई कारवाई नही की। इसी तरह कई ऐसे स्थान है जहां पक्के निर्माण है जो पेटलावद के अधिकारीयों ओर नगर परिषद के सीएमओ को नही दिखाई दिये। बस इन्हे तो गरीबो के आशीयाने ही दिखाई दिये। लेकिन मुहिम के इस तरह अचानक ठंडे हो जाने से गुमटीधारीयों में आक्रोश है उनका कहना है कि बाकी बचा अतिक्रमण नही हटता है तो वह वापस अपने स्थान पर गुमटी लगाकर बेठ जायेंगे। इस मामले में एसडीएम सोलंकी से दुरभाष पर चर्चा करनी चाही पर हो नही पाई।
petlawad 02

शासकिय जमीन पर दुकाने बना ली गई।
शासकिय जमीन पर दुकाने बना ली गई।
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