चौमासी पर्व पर चौरासी लाख जीवायोनि से सामूहिक मिच्छामि दुक्कड़म किया

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थांदला । आचार्यश्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य धर्मदास गणनायक प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी की आज्ञानुवर्तीनी साध्वी निखिलशीला जी आदि ठाणा-4 के सानिध्य में आज़ाद मार्ग स्थित पौषध भवन स्थानक पर रविवार 2 जुलाई को चातुर्मास प्रारंभ दिवस एवं चौमासी पर्व दिवस जप– तप– त्याग –तपस्या एवं उत्साहपूर्वक मनाया गया। वर्षावास के प्रथम दिवस पर पौषध भवन स्थानक भवन में श्रावक-श्राविकाओं एवं बच्चों का मानो हुजूम उमड़ पड़ा। इससे ऐसा प्रतीत होता हैं कि वर्षावास के दौरान संयमी आत्माओं की प्रेरणा से बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं विभिन्न तप एवं धर्म आराधना का लाभ लेंगे। इस प्रसंग पर साध्वी निखिलशीलाजी ने महती धर्मसभा में फरमाया कि – वर्षावास अनंत पुण्यवानी से होते है। वर्षावास जिनवाणी सुनने के लिए व अनंता अनंत भव के कर्म काटने के लिए वर्षावास होते है। भगवान की आज्ञा है साधु साध्वी जी को वर्षावास में एक ही स्थान पर रुकना होता है। चातुर्मास कैसे सफल करना है ? यह आपको देखना है। जितनी शक्ति हो उतनी तपाराधना अवश्य करना , शक्ति का गोपन मत करना। समय किसी का इंतजार नही करता अतः वर्षावास में बिना प्रमाद किये ज्ञान , दर्शन , चारित्र व तप की विशिष्ट आराधना करना है। साध्वी प्रियशीलाजी ने कहा की इस बार वर्षावास 5 माह का मिला है। सभी अपने समय का सदुपयोग करके वर्षावास का पूरा पूरा लाभ लेवे। शक्ति अनुसार तप आराधना अवश्य करे।दिनांक 07जुलाई से 11जुलाई तक पंचरगी तप का आव्हान भी किया। 11जुलाई को मालव केसरी श्री सौभाग्यमलजी मसा की पुण्यतिथि पर यह तप पूर्ण होगा।

कई आराधकों ने की विभिन्न तपाराधना

वर्षावास प्रारंभ दिवस से ही श्रीसंघ का प्रत्येक सदस्य अति उत्साहित नजर आ रहा हैं। कई श्रावक-श्राविकाओं ने इस दिन उपवास, आयंबिल, नीवी, एकासन, बियासन तप के अलावा प्रतिपूर्ण पौषध, दसवां पौषध, संवर आदि विविध आराधना करने का लाभ लिया। वहीं ऐसे गुप्त आराधक भी हैं जिन्होंने चातुर्मास प्रारंभ के पूर्व ही अपनी तप आराधना प्रारंभ कर दी हैं। वे आराधक सति मण्डल से गुप्त रूप में प्रत्याख्यान ले रहे हैं। इधर वर्षावास का बेसब्री से इंतजार करने वाली तपस्वी एवं ज्ञान आराधक आत्माओं का वर्षावास के प्रारंभ होते ही वर्षावास आने का इंतजार खत्म हुआ।

पाच माह तप की लड़ियां प्रारंभ

सति मंडल की प्रेरणा से यहाँ वर्षावास प्रारंभ दिवस से ही विभिन्न तप की लड़ियां प्रारंभ हो गई हैं। इसमें श्रावक-श्राविकाएँ और बच्चे भी उत्साहपूर्वक भाग लेकर आराधना करने का लाभ लेंगे। वहीं श्रावक श्राविकाएं ज्ञान आराधना में रमण करने लगे हैं।

चौमासी पर्व के प्रतिक्रमण का आयोजन हुआ

वर्षावास प्रारंभ दिवस के अंतर्गत चौमासी पर्व पर सामूहिक प्रतिक्रमण का आयोजन हुआ। इसमें श्राविकाओं का सति मण्डल के सानिध्य में पौषध भवन पर एवं श्रावकों का दौलत भवन स्थानक पर चौमासी पर्व का सामूहिक प्रतिक्रमण कर चौरासी लाख जीवायोनी से मिच्छामि दुक्कड़म करके एक दूसरे से खमतखमावणा किया। पश्चात चौवीसी स्तुति, गुरु गुणगान, स्तवन, कल्याण मंदिर आदि की स्तुति की।

तप आराधकों के सामूहिक पारणे हुए

चौमासी पर्व पर हुई सभी तपस्याओं के सामुहिक पारणे सोमवार को स्थानीय महावीर भवन पर गुप्त लाभार्थी परिवार द्वारा रखे गए । जिसमे 100 से अधिक तपस्वियों ने उल्लासपूर्वक भाग लिया।

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