मेरे देश की जीत है ओर ” लाल सलाम” की करारी हार

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झाबुआ लाइव डेस्क – करीब 20 दिन ” तिहाड़ ” मे रहने के बाद ” कन्हैया जी ” आपको सिर्फ ” अंतरिम बेल” मिली है ना की आप बरी हुऐ है लेकिन जेल से बाहर आने के बाद आपने कल देर रात ” JNU” मे जो क्रांतिकारी भाषण दिया वह कई मायने मे अजब-गजब था । कन्हैया जी आपकी भाषण कला अच्छी है ओर आपने कुछ मुद्दो पर जो आजादी मांगी है जैसे भुखमरी – सामंतवाद-भ्रष्टाचार से आजादी ..उसका मै स्वागत ओर समर्थन करता हुं लेकिन आपके ” लाल सलाम” के साथ नही। लेकिन कन्हैया मै आपसे पूछना चाहता हुं कि जब आप JNU कैंपस मे खडे होकर आजादी की मांग करते हो तो आपके मुंह से” आतंकवाद से आजादी- नक्सलवाद से आजादी-नक्सलियों के रेड कॉरीडोर से आजादी-नक्सली हिंसा से आजादी जैसे नारे क्यो नही निकले ? माफ कीजिएगा लेकिन आपका लाल सलाम ओर नक्सलियों का लाल सलाम एक ही है आप नक्सलियो की “बौद्धिक विंग” प्रतीत होते हो ! ओर आप नारा लगाते है संघवाद से आजादी ! संघवाद से मेरी समझ मे दो अर्थ निकलते है पहला ” यूनियन आफ इंडिया ” जिसे राज्यों का संघ कहा जाता है तो क्या आप भारत को तोडना चाहते है ? ओर दूसरा संघवाद का अर्थ निकलता है RSS ” यानी राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ” यानी संक्षिप्त भाषा मे ” संघ” । अगर आप इस संघ से आजादी चाहते है तो आपकी अनगिनत पीढिया  गुजर जायेगी लेकिन संघ खत्म नही होगा। मै ऐसा इसलिए नही कह रहा कि मै कोई संघ का स्वयंसेवक हुं बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक के रुप मे यह खुले मन से कहता हुं कि संघ की गतिविधिया मुझे “राष्ट्रवाद” का अहसास करवाती है मै यह दावे से कहता हुं कि सबसे ज्यादा राष्ट्रवाद सीमा पर लड रहे जवानों मे ओर देश के भीतर राष्टीय स्वयंसेवकों मे होता है मै आपके लाल सलामों से पूछता हुं जब नक्सली निर्दोष जवानो को मारते है जवानो को बम से  उडाते है तो JNU मातम ना मनाकर मौन खुशी क्यो मनाता है? संघ की तरह सेवा कार्य करने बाढ-भूकंप जैसी आपदा मे कितने ” लाल सलाम ” निकलते है ? ओर कन्हैया जमानत देने वाली जज की टिप्पणिया मत भूलो कि अंतिम विकल्प “संक्रमण” को काटकर फेंक देने का होता है  ओर तुम्हें ओकात मे तो इस देश की न्याय व्यवस्था ने ला ही दिया है तभी तो आपको जेल से छुटने के बाद सभा के पहले ” जयहिंद ” के नारे लगाने पडे ओर वह भी तिरंगा लहराकर। यह मेरे देश की जीत है ओर तुम्हारे ” लाल सलाम” की करारी हार है ।

 

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