अणुवत्सश्री संयतमुनिजी के सानिध्य में ग्रीष्मकालीन पांच दिवसीय धार्मिक संस्कार शिविर का आयोजन 11 से 15 जून तक होगा

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थांदला। वैसे बच्चों के लिए संस्कारों की पहली पाठशाला माता पिता होते है। पश्चात धार्मिक शिविर में भाग लेना भी उसके लिए अत्यधिक महत्व रखता है। ग्रीष्मकालीन अवकाश के समय शिविर आयोजित करने से बच्चों को खासा लाभ मिल जाता है और किसी भी संघ में धार्मिक शिविर का आयोजन इसीलिए किया जाता है कि बच्चें गीली मिट्टी के समान होते है, उन्हें जैसा ढालना चाहे वैसा ढाल सकते है। मुख्य तौर पर शिविर का महत्व यह है कि बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण होकर उनमें संस्कार प्रगाढ़ हो। शिविर सही दिशा का मार्गदर्शन कर जीवन जीने की कला सिखाता है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए जिनशासन गौरव आचार्यश्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य धर्मदास गणनायक प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी के आज्ञानुवर्ती अणुवत्सश्री संयतमुनिजी, स्वाध्याय प्रेमीश्री जयंतमुनिजी, सेवाभावीश्री शुभेषमुनिजी, नवदीक्षितश्री अचलमुनिजी ठाणा 4 एवं साध्वीश्री निखिलशीलाजी, दिव्यशीलाजी, प्रियशीलाजी व साध्वीश्री दीप्तिजी ठाणा 4 सहित कुल 8 संयमी आत्माओं के सानिध्य में ग्रीष्मकालीन पांच दिवसीय धार्मिक संस्कार शिविर का आयोजन 11 से 15 जून तक स्थानीय आजाद चौक  स्थित पौषध भवन पर आयोजित होगा। यह शिविर श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में होगा। इसमें 13 से 20 वर्ष तक के बच्चें भाग ले सकेंगे। वहीं श्राविकाओं के लिए आयु सीमा का बंधन नहीं है।  

व्याख्यान श्रवण करना अनिवार्य

श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत ने बताया कि शिविर के दौरान प्रातः 8.30 से 10 बजे तक शिविरार्थियों को व्याख्यान श्रवण करना अनिवार्य रहेगा। क्योंकि व्याख्यान में से प्रश्न पूछे जाएंगे। इसलिए व्याख्यान श्रवण करेंगे तभी प्रश्नों के सही उत्तर दे सकेंगे। प्रतिदिन दोपहर 2 से 3.30 बजे तक अणुवत्सश्री संयतमुनिजी, सेवाभावीश्री शुभेषमुनिजी एवं साध्वीश्री निखिलशीलाजी क्रमशः आधे आधे घंटे की तीन क्लास लेंगे। 

नियमावली का पालन अनिवार्य रहेगा

श्रीसंघ सचिव प्रदीप गादिया द्वारा प्राप्त जानकारी अनुसार नियमावली के अंतर्गत शिविरार्थी को पांचों दिन उपस्थित रहने के साथ प्रतिदिन दो सामायिक करना अनिवार्य रहेगी। उसी को शिविरार्थी की श्रेणी में माना जाएगा। शिविर के दौरान कच्चे पानी का त्याग, जमीकंद का त्याग, रात्रि भोजन का त्याग एवं टीवी देखने का त्याग अनिवार्य है। प्रत्येक शिविरार्थी को आयोजित परीक्षा में भाग लेना अनिवार्य रहेगा। परीक्षा परिणाम के अंतर्गत जूनियर एवं सीनियर दोनों वर्ग के प्रथम, द्वितीय व तृतीय पृथक पृथक निकाले जाएंगे। शिविर में भाग लेने वाले प्रत्येक शिविरार्थियों को पुरस्कार दिया जाएगा।

शिविर के मुख्य आकर्षण रहेंगे

शिविर के लाभार्थी मनोज जैन ने बताया कि शिविर के मुख्य आकर्षण “पहले आओ पहले पाओ” के अंतर्गत 11 से 15 जून तक पांचों दिन दोपहर 2 से पूर्व आने वाले शिविरार्थी को टोकन वितरित किया जाएगा। शिविर समापन दिवस पर ड्रॉ के माध्यम से तीन भाग्यशाली शिविरार्थियों टोकन निकाल कर उन्हें पुरस्कार दिया जाएगा। 12 जून को दोपहर 3.30 से 3.40 तक धार्मिक गेम, 14 जून शाम को प्रतिक्रमण के बाद “एक शाम अणु गुरु परमात्मा के नाम”, 15 जून को व्याख्यान में “हॉरर शो” का आयोजन होगा। छठे और अंतिम दिन 16 जून शुक्रवार को परीक्षा का आयोजन होगा। इसी दिन शिविर का समापन होगा। 

बच्चों को संस्कारित करने का अनुपम अवसर। शिविर संचालिका श्रीमती स्वीटी जैन अनुसार उक्त शिविर घर बैठे ज्ञानार्जन करने साथ बच्चों को संस्कारित करने का अनुपम अवसर है। श्रीसंघ ने अभिभावकों से निवेदन किया कि शिविर आयोजित के इस सुनहरे अवसर पर बच्चों को संस्कारित करने के लिए शिविर में अधिक से अधिक संख्या में बच्चों को भेजने का सार्थक प्रयास करे।

प्रभावना के लाभार्थी रहेंगे

स्वर्गीय दलीचंद एवं लीलादेवी जैन की पुण्य स्मृति के उपलक्ष्य में पुत्र मनीषकुमार मनोजकुमार जैन, जैन इलेक्ट्रिकल्स शिविर में मुख्य प्रभावना के लाभार्थी रहेंगे। वहीं शिविर में प्रतिदिन क्रमशः 11 जून को गुप्त लाभार्थी परिवार की ओर से, 12 जून को धर्मलता महिला मंडल द्वारा, 13 जून को अखिल भारतीय श्रीचंदना श्राविका संगठन थांदला की ओर से, 14 जून को स्वर्गीय राजलबाई गादिया परिवार द्वारा एवं 15 जून को शांताबाई तलेरा परिवार की ओर से शिविरार्थियों को प्रभावना वितरित की जाएगी।

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