हथनी नदी पूरी तरह सूख कर कंकर पत्थरों का मैदान बनी

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
आम्बुआ-बोरझाड़ के मध्य बहने वाली हथनी नदी जो कि कभी 12 माह तक कल-कल बहती रहती थी वह आज उस समय सूख रही है जब पानी की सख्त जरूरत है नदी के सूखने की प्रमुख वजह क्षेत्र में विगत कुछ वर्षों से कम वर्षा का होना तथा नदी एवं सहायक नदी नालों पर स्टॉप डेम बैराज तथा तालाब बन जाना भी सूखने का कारण माना जा सकता है।
हथिनी नदी जो कि आजाद नगर भाबरा क्षेत्र के सेजवाड़ा ग्राम के समीप की पहाड़ियों से निकलकर आम्बुआ खट्टाली होकर नर्मदा नदी की सहायक नदी के रूप में जाकर ककराना में मिलती है कुछ वर्षों पूर्व तक यह नदी खुले रूप में बहती थी जिस कारण आम्बुआ ही नहीं अपितु संपूर्ण नदी क्षेत्र में 12 माह पानी उपलब्ध रहता था बीते वर्षों में इन नदी पर कई स्टॉप डेम बने जिनमें पानी रोका जा रहा है इसके अलावा इसकी सहायक नदी नालों पर भी स्टाप डेम बैराज तथा तालाब बन जाने के कारण पानी वहां रुक जाने लगा। जब जलाशयों में पूरी क्षमता का पानी भर जाता है तब शेष पानी भरकर नदी में आता है लेकिन बीते कुछ वर्षों से बारिश कम होने के कारण इसकी सहायक नदी नालों पर बने जलाश्यो का ही पेट नहीं भर पाता है तब नदी में पानी कहां से आए वर्षा काल में खेतों आदि का पानी नदी में आता है तो नदी में बहाव तेज हो जाता है लेकिन वर्षा रुकने के बाद पानी कम होने लगता है तथा गर्मी का मौसम आते-आते यह नदी हथनी नदी सूख कर कंक्रीट में तब्दील हो जाती है।

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