स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों के योगदान विषय पर संगोष्ठी हुई

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सुनील खेड़े@जोबट

महाविद्यालय परिसर मे आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों की योगदान विषय पर संगोष्ठी संपन्न हुई है, जिसमें कई वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।
जोबट महाविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग नई दिल्ली एवं देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों के योगदान विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई और इस मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में खेम सिंह जमरा भीमा नायक वनांचल सेवा संस्था के प्रदेश सचिव ने महापुरुषों के अनेक नाम और उनके दायित्व के साथ ही कार्य का बखान किया और इतिहास में इन सारे महापुरुषों के नाम अंकित नहीं होने के बारे में सभी को जानकारी से अवगत करवाते हुए कहा है कि कोई जनजाति समाज के महापुरुष जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। ऐसी कई घटनाएं हुई जो जनजाति समाज को ऊपर नहीं आने देने के चलते उनके नाम इतिहास के पन्नों पर अंकित नहीं है। उनका जीवन परिचय कहीं से कहीं तक उल्लेख नहीं किया गया, इस देश के तारे महापुरुष हम सबके रहे है, लेकिन जिन लोगों ने देश के समाज पर आक्रमण किया है उन आक्रमण कर्ताओं का नाम और जीवन परिचय इतिहास के पन्नों पर अंकित किया गया। लेकिन हमारे सर्व समाज के योद्धाओं का नाम कहीं से कहीं तक उल्लेख नहीं होना बताया। उसी को लेकर यह कार्यशाला आयोजित की जा रही ताकि हमारे जनजातीय को का इतिहास सामने आ सके।
मुख्य अतिथि के रूप में मंचासीन जनजाति विकास मंच के जिलाध्यक्ष राजेश डुडवे ने कहां की जनजाति स्वतंत्रता वीरो के साथ इतिहासकारों ने अन्याय किया है, स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों का महत्वपूर्ण योगदान होना उन्होंने बताया लेकिन उस समय के इतिहासकार जो कि अंग्रेज शासन काल में उनके गुलाम बनकर काम करते थे जिसके कारण कोई महापुरुषों का नाम तक आज जनजाति समाज नहीं जान पा रहा उसका मुख्य कारण है जनजाति नायकों के साथ अन्याय हुआ। उनके सौर्य, त्याग वबलिदान को गुमनामी कर रखना बताया है। उन्होंने अनेक महापुरुषों के नाम से भी स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग की बात की है। विशेष अतिथि माखन सिंह अंजना ने कहा कि ऐसे कोई महापुरुष जिन्होंने यहां पर जन्म लेकर अपने समाज और धर्म के साथ ही देश को आजाद करने में प्राण गवाया है उनके इतिहास के पन्नों पर आज नाम नहीं है लेकिन अब उनका गुणगान होने लगा है और हम सब को उनके जीवन को लिखने की जरूरत बताया है। इस मौके पर मंचासीन अतिथि शुभम श्रीवास्तव पूर्व छात्र द्वारा क्षेत्र किराडे के ऊपर बात रखी है, नरेंद्र मंडलोई विधायक प्रतिनिधि संस्था के प्राचार्य डॉ. एसआर भूरिया जनजाति वीरों को राष्ट्रीय ग्रह बताते हुए उनके इतिहास के बारे में भी बात की है। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय जनजाति आयोग के द्वारा वीडियो क्लिप भी विद्यार्थियों को दिखाया गया है। इस मौके पर
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत डॉ.जीएल चौहान, प्रो.प्रदीप सिंह डावर, प्रो.इंगला लोहारिया, प्रो. प्रभु प्रकाश मोहनिया ने किया है। इस मौके पर टोली के रूप में छात्र हुसैन तोमर, हरीश अजनार, कांति बघेल और अन्य महाविद्यालय के समस्त परिवार मौजूद था। कार्यक्रम का संचालन डॉ दीपक डावर ने किया जबकि आभार क्रीड़ा अधिकारी डॉ. अनुराग हार्डिया के द्वारा माना गया है

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