आलीराजपुर। आदिवासी एकता परिषद का गठन सन् 1992 में आदिवासी समाज के बुद्धिजीवियों ने मिलकर किया था।जो कि क्षेत्रों के भिन्न-भिन्न संगठनों में कार्य करने वाले कार्यकर्ता थे।प्रारंभिक समय में छोटी छोटी सभाओं के द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये गये ओर अपनी विचार धारा को जन जन तक पहुंचाने में शुरुआती दौर में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा।
प्रारम्भ में महाराष्ट्र, गुजरात ,राजस्थान, दादर नगर हवेली ओर मध्यप्रदेश के संगठनों के संघर्षमय कार्यकर्ताओं ने आदिवासी एकता परिषद की नींव रखी थी। जिसमें महाराष्ट्र के कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका रही।आदिवासियत की विचारधारा को लेकर आगे बढ़ने वालों में सभी वर्ग जैसे मजदूर,किसान, डॉक्टर,वकील, प्रोफेसर, कर्मचारी-अधिकारी वर्ग, महिलाएं एवं विद्यार्थी आदि जुड़ते गए। जिसका नतीजा गुजरात के हमीरपुर में 30वां आदिवासी सांस्कृतिक एकता महासम्मेलन में देखने को मिला। जो छोटी सी सभा से शुरू होकर आज विशाल जन स्वरूप में बदल गया।आदिवासी एकता परिषद की मेहनत की विचार धारा बहुत कम समय में आग कि भांति फेल गई।भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में आंध, गोंड, खरवार, मुण्डा, खड़िया, बोडो, कोल, भील, कोली, सहरिया, संथाल, भूमिज,उरांव, लोहरा, बिरहोर,पारधी,असुर, नायक,भिलाला,मीना,टाकणकार, बरेला,पटलिया आदि एक मंच पर दिखाई दिये जाने लगे हैं। हजारों की संख्या में आदिवासी समाज जन एकजुट होकर सम्मिलित हुये हैं जिसमें मध्यप्रदेश एवं अलीराजपुर जिले से हजारों की संख्या में वाहनों से समाज जन सम्मिलित हुए हैं।
