मेहरबान अफसरः बीच बाजार में खुलेआम मछली विक्रेता दोबारा घरों से संचालित कर रहे मछली की दुकाने…

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सलमान शैख@ झाबुआ Live
धार्मिक नगरी में मछली के मांस की खुलेआम बिक्री करने वाले दुकानदारों पर नगर परिषद और खाद्य विभाग दिल खोलकर मेहरबान है। इन विक्रेताओं का कारोबार बीच बाजार में और खुलेआम बदस्तूर जारी है और अफसर सब कुछ जानकर भी अनजान बने हैं। हैरानी की बात यह है कि बीते कुछ महिनों पहले नगर के जनता को प्रदूषण से बचाने के लिए स्लाटर हाउस को चालू कर प्रशासन ने मटन-चिकन और मछली व्यवसाईयों को शिफ्ट किया था और उन्हें दुकानें दी थी। इसके बाद रहवासी इलाकों में लग रही इन दुकानों से सभी को मुक्ति मिली थी, लेकिन कुछ दिन बीतने के बाद मछली व्यवसाईयों ने दोबारा रहवासी इलाके में अपनी दुकान शुरू कर दी। कई बार इसकी शिकायत भी हुई और नगर परिषद ने शिकायत पर कार्रवाई भी की, लेकिन इन मछली व्यवसाईयों के लिए शायद अलग से नियम कायदे पेटलावद नगर परिषद ने बना रखे है। यही वजह है कि इन्हें हटाने में परिषद के अधिकारी-कर्मचारी बोने साबित हो रहे है। वहीं धार्मिक भावनाओं से भी खिलवाड़ किया जा रहा है।
12 साल पहले बनाया गया था स्लाटर हाउस, 5 महीने पहले हुआ था शुरू
गौरतलब है कि नगर के गांधी चैक के आगे कहार मोहल्ले में सभी मछली व्यवसाई तो राजापुरा मोहल्ले में मटन और चिकन व्यवसाई पहले अपनी दुकाने लगाते थे, इससे सारी गंदगी सड़क पर ही पसरी रहती थी, जिसके कारण आने-जाने वाले लोगो को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। कई दफा इसकी शिकायत होती और अधिकारी इन पर कार्रवाई करते थे। इसके बाद परिषद द्वारा 12 साल पहले पंपावती नदी किनारे सामाजिक भावनाओं का सम्मान करने के उद्देश्य से करीब 26 लाख रूपए की लागत से बनाए गए स्लाटर हाउस को शुरू करने की कवायद तत्कालीन एसडीएम रहे आईएएस शिशिर गेमावत के निर्देश पर हुई। चंद दिन बीतने के बाद स्लाटर हाउस शुरू भी हो गया और मटन-चिकन व मछली व्यवसाईयों को दुकानों का अलाटमेंट किया गया था। अब यहां तब से लगाकर आज तक मटन और चिकन की दुकाने तो लग रही है, लेकिन मछली विक्रेता वार्ड 11 में दोबारा उनके घर के बाहर दुकाने लगाकर मछली बेच रहे है और अपनी मनमानी पर उतारू है। जिससे दोबारा से प्रदुषण फेल रहा है, साथ ही लोगो को आने जाने में काफी दिक्कतो का सामना करना पड रहा है।
व्यापार हो रहा प्रभावित:
मटन चिकन विक्रेताओं ने चर्चा में बताया कि वे स्लाटर हाउस में अपनी दुकानों पर ही धंधा कर रहे है, लेकिन मछली विक्रेता दोबारा उनके घरों से अपना धंधा चलाने लग गए है। इससे हमारा व्यापार प्रभावित हो रहा है। ग्राहक हमारे पास आने से पहले उधर उनके घरों तक ही रुक जाता है, जिसके कारण हमारा धंधा चोपट हो रहा है। क्या सभी नियम कायदे हमारे लिए ही है या फिर इन मछली विक्रेताओं के लिए अलग से नियम बना रखे है। इन्हे जल्द ही यहां से हटाना चाहिए। ताकि एक जगह पर ही सभी दुकानें लगे और सबका धंधा एक समान चले।
स्वास्थ्य पर पड़ रहा विपरीत असर-
मछली विक्रेता अपने घरों के बाहर दुकाने लगा रहे है और व्यवसाय कर रहे है। इससे मछली से निकलने वाला जो मल और गंदा पानी है वह नालियों में जा रहा है। यही नही इस इलाके में आवारा श्वान भी घुमते है जो अपशिष्ट पदार्थो में एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले ले जाते है, जिसके कारण लोगो के स्वास्थ्य पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है। पैदल निकलने पर गंदगी और बदबू का सामना करना पड़ रहा है। बता दे कि खुले में मछली विक्रय करना नियम विरूद्ध है और सीआरपीसी के नियमों के तहत न्यूसेंस की श्रेणी में आता है। जो दंडनीय अपराध है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इन मछली विक्रेताओं पर कार्रवाई न करना उनके उपर सवालियां निशान खड़े कर रहा है। नगरवासियों ने इस बारे में सीएमओं को शिकायत की तो वे इस मामले में कार्रवाई करने की बात करने लगते है, लेकिन कार्रवाई होती नही है। वे दबाव में कार्रवाई करने से बच रहे है।
जब सभी बैठे स्लाटर हाउस में तो इन्हें किसने बीच बाजार में बिठा दिया..?
नगर के मटन और चिकन विक्रेताओं जब निर्धारित स्लाटर हाउस में अपना व्यवसाय कर रहे है तो इन गिने-चुने मछली विक्रेताओं को बीच बाजार में नियम विरूद्ध तरीके से व्यापार करने की हिम्मत कहां से आई…? सवाल यह भी है कि आखिर इन्हें किसने परमिशन दी कि यह अपने घरों से मछली दुकाने संचालित करने लग गए। वहीं इनकी हठधर्मिता से दूसरे विक्रेता भी इन चुनिंदा विक्रेताओं को लेकर प्रशासन व सीएमओं पर कार्रवाई नहीं करने और मनमानी करने के आरोप लगा है।
लाईसेंस किया जाए निरस्त-
नगर के बुद्धिजीवीयों का कहना है कि बार-बार इन व्यवाईयों द्वारा अपने दुकाने घरों में लगा ली जाती है, आखिर किसी एक के लिए सैकड़ो लोगो की जिंदगी से खिलवाड़ कब तक होता रहेगा। जब मछली, मटन और चिकन व्यवाईयों पर स्लाटर हाउस में भेज दिया गया, तो फिर यह मछली विक्रेता किसके निर्देश पर अपनी दुकाने घरों से संचालित कर रहे है। क्या इनके लिए अलग से नियम कायदे परिषद ने बना दिए है। अगर ऐसा नही है तो घरों से दुकाने संचालित करने वाले व्यवसाईयों चाहे वह मटन या चिकन या फिर मछली विक्रेता ही क्यों न हो उनका लाईसेंस निरस्त किया जाना चाहिए। इस तरह से उन्हें बढ़ावा देना ठीक नही है।

जल्द की जाएगी कार्यवाही:

सीएमओ राजकुमार ठाकुर ने बताया हमने पहले इन्हे स्लाटर हाउस में बिठाया था, आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है। जल्द इन पर जुर्माना लगाकर कार्यवाही की जाएगी।

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