खाद व्यापार के लिए बीएससी-कृषि विज्ञान डिग्री आवश्यक करने का व्यापारियों ने किया विरोध, बंद रखी दुकानें
झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट- केन्द्र सरकार द्वारा उर्वरक अधिनियम में 30 अक्टूबर 2015 को राजपत्र में एक अधिसूचना द्वारा खाद व्यापार हेतु नवीन लाइसेंस के लिए बीएससी कृषि या विज्ञान के चुनिन्दा विषयों की डिग्री अनिवार्य कर दी गई है तथा पुराने लाइसेंसियों को डिग्री की व्यवस्था के लिए दो वर्ष का समय दिया गया है। इसी तरह कीटनाशी अधिनियम में 5 नवंबर 2015 को अधिसूचना जारी कर नवीन लाइसेंस हेतु बीएससी कृषि तथा विज्ञान के चुनिंदा विषयों की डिग्री अनिवार्य कर दी गई है। पुराने लाइसेंस धारियों के लिए दो वर्ष का समय दिया गया है और डिग्री की व्यवस्था करने पर ही लाइसेंस नवीनीकरण होगा। डिग्री का कोर्स करने मे चार वर्ष का समय लगता है। लेकिन शासन द्वारा दो वर्ष का समय दिया गया है। ऐसा ही बीज लाइसेंस मे भी 1998 मे प्रावधान किया गया था जिस पर अभी स्थगन चल रहा है। सरकार के आदेश व्यापार विरोधी है। इससे कृषि आदान का संपूर्ण व्यापार चौपट होने की आशंका है तथा बाजार मे इसके संकेत नकारात्मक होने वाले है। आगे जानकारी देते हुए मध्य प्रदेश उर्वरक विक्रेता संघ के जिला प्रतिनिधि राजेन्द्र व्होरा ने बताया कि पिछले पांच-छह दशक से प्रचलित कानूनों से कृषि आदान का व्यापार व्यवसाय ठीक-ठाक चल रहा था उसमें नवीन आदेशों से गतिरोध उत्पन्न होने की आशंका है।
कई दुकानदार हैं अयोग्य
व्यापारी तथा किसानों के बीच संव्यवहार चल रहा था उसमे नए आदेशों के कारण गतिरोध बनना तय है। नवीन डिग्रीधारी खेती किसानी लाइन को समझने में समय लगेगा और पुराने अनुभवी प्रौढ़ व्यापारी डिप्लोमा लेने कालेज जाने में असमर्थ है। प्राकृतिक आपदाओं के वक्त व्यापारी किसान एक-दूसरे की मदद करते थे, वो भी बंद हो जाएगी। वर्तमान में चल रही खाद, बीज, कीटनाशक की दुकानों में से 90 प्रतिशत बंद हो जाएगी तथा किसान मुसीबत के समय मारा-मारा फिरेगा। व्यापारियो की स्वयं की क्रेडिट पर प्राप्त किया लाखों रुपए भी डूबने की संभावना बनती जा रही है। जिससे अधिकांश व्यपारी फुटपाथ पर आ जाएंगे। इस कारण इन अधिनियमों का कृषि संबंधित व्यापार करने वाले व्यापारी। विक्रेता पुरजोर विरोध कर रहे है। श्रृंखला में मध्यप्रदेश एवं देश के व्यापारी संगठनों के आह्वान पर 9 फरवरी को खाद बीज कीटनाशक की दुकाने बंद रख व्यापारियों ने विरोध दर्ज करवाया। जब तक यह तुगलकी आदेश वापस नहीं लिए जाते है, व्यापारी शान्तिपूर्वक प्रदर्शन-धरना-हड़ताल कर विरोध करते रहेंगे। थान्दला एवं आसपास के गांव के समस्त व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रख कर तहसील कार्यालय पहुंचकर तहसीलदार अर्जुनसिंह राही को केन्द्रीय कृषि मंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन का वाचन जिला प्रतिनिधि राजेन्द्र व्होरा ने किया। इस दौरान राजेश बरमेचा, भूपेन्द्र पावेचा, रजनीकांत शाहजी, आनन्द जैन, बलराम चौहान, राजमल चोपड़ा, ओम डांगुर, प्रवीण पीचा, गोपाल पाटीदार, मुर्तजा तैयब अली, अमित जैन, दीपू पाटीदार, तेजमल राठौड़, हितेश शाहजी, रमेश प्रजापत सहित समस्त व्यापारी उपस्थित थे।