निर्मला जैन के 36 उपवास पर श्रीसंघ ने किया बहुमान

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पारा।  जैन धर्म मे कर्मो की निर्जरा करने का एक माध्यम है तप। धार्मिक नगरी पारा जिसको पुण्य सम्राट गुरुदेव जयंत ग्राम के नाम से भी जाना जाता है में सभी समाज के अनुयायी धर्म आराधना में लीन रहते हैं। चातुर्मासिक काल मे सभी जगहों पर विभिन्न प्रकार के विभिन्न धार्मिक आयोजन करवाये जा रहे हैं।

इसी कड़ी में जैन समाज पारा में भी श्रावक – श्राविकाओं द्वारा चातुर्मास की शुरुआत से ही कई तरह के तप किये जा रहे हैं। पारा में किसी भी संत का चातुर्मास न होने के बाद भी कई बड़ी तपस्याओं से धार्मिक माहौल बना हुआ है। जैन समाज की श्राविका निर्मला अमृतलाल जैन ने पारा में रहते हुए अब तक कि सबसे बड़ी और कठिन माने जाने वाली 36 उपवास की तपस्या की। जिसका पारणा शनिवार को उनके निज निवास पर सर्वप्रथम अमृतलाल जैन द्वारा करवाया गया। इसके पूर्व शुक्रवार को 36 उपवास पूर्ण होने पर शनिवार को तपस्वी परिवार द्वारा मुख्य मार्ग स्थित श्री आदिनाथ-शंखेश्वर-सीमंधर धाम जिन मंदिर में जाकर तप की देवी शासन माता ( चक्रेश्वरी देवी) की पूजा की गई। इसके बाद नगर के मुख्य मार्गो से होते हुए एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई जिसमें समाजजनों के साथ बाहर से आये हुए तपस्वी के परिजनों ने शिरकत की। तपस्वी बग्घी में सवार होकर शोभा यात्रा में शामिल हुई जिसके मुख्य मार्ग स्थित श्री महावीर राजेन्द्र, जयंत भवन पहुंचने पर श्री संघ एवं परिषद परिवार द्वारा तपस्वी का बहुमान कार्यक्रम आयोजित किया गया। बहुमान कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि तप जिनशासन की वह सुन्दर प्रक्रिया है जिससे मानव अपने आत्म स्वरूप को जल्द ही प्राप्त कर सकता है।  तप कर्म निर्जरा को खत्म करने का अनुपम साधन है।  आत्मा में अनंत सुख लाने की क्षमता केवल तप में है। कार्यक्रम में महिला परिषद द्वारा स्वागत गीत गाया गया। अनुमोदना पत्र पढ़कर श्रीसंघ एवं परिषद परिवार के पदाधिकारियों ने तपस्वी निर्मला अमृतलाल जैन का तिलक, माला, साड़ी, श्रीफल भेंट करके बहुमान किया। तरुण परिषद तथा  जैन मित्र मंडल द्वारा  भी निर्मला जैन का बहुमान किया गया। परिवार द्वारा  साधारण खाते में राशि भेट की गई। कार्यक्रम का संचालन श्रीसंघ महामंत्री प्रकाश छाजेड ने किया। सम्पूर्ण कार्यक्रम के बाद परिवार के वरिष्ठ सदस्य अमृतलाल जैन ने पधारे हुए अतिथियों, जैन श्री संघ पारा एवं परिषद परिवार पारा के प्रति परिवार की ओर से आभार प्रकट किया। पोखरना परिवार द्वारा साधर्मिक वात्सल्य का आयोजन भी किया गया। इसके बाद  निज निवास पहुंच कर समाजजनों ने तपस्वी को पारणा करवाया।   परिषद अध्यक्ष दिलीप कोठारी ने बताता की चातुर्मासिक काल मे पर्युषण महापर्व के दौरान नगर की बेटी आयुषी जयंतिलालजी छाजेड  ने 11,  जिया सोलंकी 9, विनीत नाहटा, ललित खिमेसरा तथा हर्षित पगारिया द्वारा 8 – 8  उपवास की तपस्या की गई। जिनका बहुमान भी श्रीसंघ एवं परिषद परिवार द्वारा किया गया।

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