संकल्प शक्ति से मन को किया इतना संयमित की भोजन की आवश्यकता नही होती

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वीरेंद्र बसेर, घुघरी

करवड में दीर्घ तपस्या चल रही है। श्रीमाल परिवार का नाम रोशन कर रहे तेरापंथ सभा के मंत्री अशोक श्रीमाल आज अपनी  ही 41 की तपस्या को पीछे छोड़ 53 की तपस्या पर अर्धशतक लगाकर आगे की ओर गतिमान है।

मन को जितने व तपस्या में दढता पाने के लिए मनोबल की आवश्यकता होती है जो दढता से आगे बढ़ता है वह मन को जीत लेता है और तपस्या में सफल हो जाता है। हमारी आत्मा कई भावो से आहार की अभव्यस्त हैं उसे त्यागने के लिए शरीर असहयोग करता है पर अशोक श्रीमाल ने करवड़ से पेटलावद आकर संकल्प ले लिया था कि उन्हें तपस्या करना ही है वहां अपने जीवन की दूसरी तपस्या पर गतिमान है। तपस्या ऐसा इंजेक्शन है जिसका कोई रिएक्शन नहीं होता या मोक्ष का रिजर्वेशन करवा देता है जो आहार संज्ञा को जीत लेता है वह अपने लक्ष्य मोक्ष के पास चला जाता है । आज तेरापंथ सभा का नहीं पूरे जैन समाज का नाम रोशन कर रहे है अशोक  श्रीमाल।

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