राष्ट्रीय खेल दिवस पर हुई प्रतियोगिताएं, खिलाड़ियों का सम्मान किया

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थांदला। खेल और अच्छी शिक्षा दोनों ही विद्यार्थी के जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। खेल का अर्थ ना केवल शारीरिक व्यायाम है, बल्कि इसके द्वारा विद्यार्थियों की पढ़ाई की ओर एकाग्रता का स्तर बढ़ता है। खेलों के संबंध में आमतौर पर कहा जाता है कि “एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन रहता है।” जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए तंदुरुस्त शरीर में स्वस्थ मन होना चाहिए, लक्ष्य पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने के लिए मानसिक और बौद्धिक स्वास्थ्य बहुत आवश्यक है।खेल से आत्मविश्वास और अनुशासन आता है। विद्यार्थियों  खेल के प्रति जागरुक एवं प्रोत्साहित कर उनमें खेलों के प्रति रुचि का निर्माण करने चाहिए। 

उक्त विचार महाविद्यालय में राष्ट्रीय खेल दिवस के उपलक्ष्य में अंतर संकाय रस्साकशी प्रतियोगिता एवं उत्कृष्ट खिलाड़ियों के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ. जी. सी.मेहता ने  अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री सर्जेराव गायकवाड़  थे। वरिष्ठ अध्यापक डॉ. पीटर डोडियार ने कहा कि नियमित रूप से खेल खेलने से मानसिक व शारीरिक संतुलन बना रहता है। इससे एकाग्रता स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।किसी भी कठिन परिस्थिति में निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है। खेल दिवस के  अवसर पर शासन की ओर से शैक्षणिक संस्थानों में खेल गतिविधियों आयोजित की जाती है। डॉ डोडियार ने खेल के संदर्भ में महाविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

प्रो.एस.एस. मुवेल ने कहा कि खेलों से मित्रता की भावना समभाव, सहयोग एवं सकारात्मक विचारों का विकास  होता हैं ।

डॉ. बी. एल. डावर ने खेलों के महत्व को बताते हुए कहा कि खेलों से हमें बहुत ऊर्जा और मजबूती  मिलने के साथ ही शरीर में रक्त संचरण बढ़ता है। सभी प्रकार की थकान व आलस्य दूर होती है ।

डॉ. मीना मावी ने बताया कि खेल विद्यार्थी की कार्यकुशलता और कार्य क्षमता को बढ़ाता है, यह विद्यार्थियों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार का अभिन्न हिस्सा है। महाविद्यालय में अध्ययनरत ग्रामीण विद्यार्थियों में प्रतिभा की कमी नहीं है, उनमें इच्छाशक्ति जागृत करने व प्रेरित करने की आवश्यकता है।

क्रीड़ा अधिकारी डॉ.शुभदा भोसले ने खेलों के महत्व को कैरियर के रूप में बताते हुए कहा की वर्तमान में शासन के प्रयासों से खेलों का क्षेत्र बढ़ गया है। खेलों से स्वास्थ्य व तंदुरुस्ती को बनाए रखने के साथ ही एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। यह सफलता और अच्छी नौकरी पाने का बेहतरीन क्षेत्र है। 

प्रो. मनोहर सोलंकी ने मेजर ध्यानचंद के जीवन एवं उनकी उपलब्धियों पर चर्चा की। 

अंतर  संकाय रस्साकशी प्रतियोगिता में प्रत्येक संकाय की दो टीमें -महिला व पुरुष ने सहभागिता की इनके परिणाम इस प्रकार रहे –

कला संकाय – महिला टीम प्रथम  एवं विज्ञान संकाय की महिला टीम द्वितीय स्थान पर रही।

पुरूष में कला संकाय स्नातक प्रथम एवं कला संकाय स्नातकोत्तर ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया।

इसके अलावा स्नातकोत्तर विद्यार्थियों एवं प्राध्यापक के बीच भी प्रतियोगिता हुई जिसमें प्राध्यापक टीम विजेता रही।

प्रतियोगिता आयोजन के पश्चात वर्षभर की गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित करते हुए प्राचार्य डॉ जी सी मेहता ने प्रशंसा पत्र एवं ट्रेक सूट प्रदान किए गए।

सम्मानित होने वाले खिलाड़ियों में प्रीति धुर्वे  -एथलेटिक्स

शंकर परमार -फुटबॉल 

शक्ति भगोरा -क्रिकेट 

प्रभु परमार – एथलेटिक्स

अश्विन डामोर -कबड्डी  एवं दिलीप भूरिया -क्रॉस कंट्री

में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर महाविद्यालय   का नाम रोशन किया।

इस आयोजन में महाविद्यालय के प्रो.एच. डूडवे सहित समस्त शैक्षणिक स्टाफ, कार्यालयीन स्टॉफ एवं  ” मां तुझे सलाम” योजना अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय सीमा,जलियांवाला बाग  एवं ऐतिहासिक स्थलों पर भ्रमण कर लौटे प्रताप कटारा सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने  सहभागिता की।कार्यक्रम का संचालन डॉ. शुभदा भोसले  ने एवं आभार  डॉ. बी. एल. डावर  ने माना।

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