समता मूर्ति विशिष्ट ज्ञान आराधकश्री चंद्रेशमुनिजी एवं सुयशमुनिजी का वर्षावास के लिए जल्द ही मंगल प्रवेश की संभावना

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थांदला। स्थानकवासी जैन परम्परा के ज्योतिर्धर आचार्य-प्रवरश्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य धर्मदास गणनायक प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी के आज्ञानुवर्ती शिष्य संतरत्नश्री  चंद्रेशमुनिजी एवं थांदला गौरवश्री सुयशमुनिजी ठाणा 2 का इस वर्ष थांदला नगर में पौषध भवन पर वर्षावास होने वाला हैं। साथ ही साध्वीश्री निखिलशीलाजी, दिव्यशीलाजी, प्रियशीलाजी एवं दीप्तिजी महासती ठाणा 4 का यहां दौलत भवन पर चातुर्मास हैं। 

चतुर्विद संघ का लाभ मिलेगा

श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत एवं सचिव प्रदीप गादिया ने बताया कि थांदला संघ की असीम पुण्यवानी के साथ संघ सौभाग्यशाली हैं कि आचार्यश्री जवाहरलालजी की जन्म स्थली एवं आचार्यश्री उमेशमुनिजी की जन्म एवं दीक्षा स्थली थांदला नगर को इस बार चतुर्विद संघ का लाभ मिलेगा। श्रीसंघ ने श्रावक श्राविकाओं एवं बच्चों से आह्वान किया कि अपनी शक्ति का उपयोग कर गुरु कृपा से मिले इस सुनहरे चातुर्मास अवसर पर अधिक से अधिक धर्म, ध्यान, जप, तप, ज्ञान आदि अपनी शक्ति अनुसार विभिन्न आराधना करने का लाभ लेवे। इस वर्षावास को लेकर श्रीसंघ ही नहीं अपितु जैनेतर बंधुओं में भी अतिउत्साह छलक रहा हैं। वर्षावास के दौरान जैनेतर भाई – बहने भी आराधना करने का लाभ लेते हैं। 

अगवानी के दौरान जयकारों से गुंज उठेगा गगन

श्रीललित जैन नवयुवक मंडल के अध्यक्ष रवि लोढ़ा के अनुसार वैसे शास्त्र एवं स्थानकवासी परंपरा अनुसार स्थानकवासी जैन संत सती एक स्थान से दूसरे स्थान जाने हेतु अपने विहार या मंगल प्रवेश आदि की निश्चयकारी भाषा नहीं फरमाते हैं। गौरतलब हैं कि स्थानकवासी परंपरा अनुसार 13 जुलाई से वर्षावास प्रारंभ हो रहा हैं। थांदला में संयमी आत्माओं का शीघ्र ही मंगल प्रवेश होने की संभावना हैं। जैन संतों का जिस दिन भी थांदला में मंगल प्रवेश होगा। उनकी अगवानी के लिए श्रावक श्राविकाओं एवं बच्चें उमड़ पड़ेंगे। संयमी आत्माओं की अगवानी के दौरान आराध्य प्रभु के साथ आचार्य भगवंत, प्रवर्तकश्रीजी, संयमी आत्माओं की जयकारों एवं गुरु गुणगान से समूचा मार्ग एवं गगन मानों गुंजायमान हो जाएगा। 

तप आदि आराधना के लिए तैयार

श्रीसंघ का प्रत्येक सदस्य चातुर्मास हेतु संयमी आत्माओं के मंगल प्रवेश की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा हैं। श्रीसंघ में ऐसे भी कई आराधक हैं जिन्होंने अपनी शक्ति अनुसार वर्षावास में तप करने का मानस बना लिया होगा। वर्षावास के दौरान संघ का प्रत्येक सदस्य अपनी शक्ति अनुसार कोई न कोई तप आदि आराधना के साथ नया ज्ञान सीखने के लिए भी आतुर हैं। 

चारित्र आत्माएं खवासा में ज्ञान गंगा बहा रहे हैं

स्मरण रहे जैनसंत व्याख्यानश्री चंद्रेशमुनिजी एवं थांदला गौरवश्री सुयशमुनिजी ठाणा 2 वर्तमान में खवासा में विराजित रहकर धर्म प्रभावना के साथ ज्ञान गंगा बहा रहे हैं। खवासा में आपकी निश्रा में श्रावक, श्राविकाएं व बच्चें इस मिले सानिध्य का उत्सुकता पूर्वक लाभ ले रहे हैं।

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