मरने के बाद दो लोगों के जीवन को रोशन कर गया 6 वर्षीय बच्चा

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घुघरी से वीरेन्द्र बसेर/ राहुल पाटीदार

लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे आगम मांडोत (6 वर्ष) की 18 जून की शाम अंतिम सांस ली। जैसे ही गांव में  यह खबर फैली तो पूरे गांव में शोक की लहर छा गई।

जैन समाज के लिये अनूठी मिशाल है की  आगम मांडोत की आंखें दान की गई। शंकरा नेत्रालय इंदौर से टीम आई थी। तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष तरुण माण्डोत अरुण श्रीमाल के प्रयास से यह सफल हुआ।

आगम की पिताजी धर्मेंद्र माण्डोत का कहना है की मेरा इकलौता लाडला पुत्र  आंखों का तारा आगम तो आज इस दुनिया से विदा हो गया, पर मैं चाहता हूं उसके जाने के बाद भी उसकी आंखें दुनिया को देखें। मैं उसकी आंखें दान कर दूसरे के जीवन में रोशनी कर उसको अमर बना दूं मैं उसकी आंखों का दान करता हूं।

आगम के पिता धर्मेंद्र माण्डोत  के इस निर्णय का पूरा जैन समाज अभिनंदन करता है अंतिम यात्रा में सेकड़ो लोगो ने हिस्सा लेकर दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी अंतिम संस्कार धोबी घाट पर किया गया।

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