एक दिवसीय नारी संस्कार एवं पाठशाला शिक्षिका प्रशिक्षण शिविर संपन्न

0

थांदला। नगर में जिनशासन गौरव जैनाचार्य पूज्य श्री उमेशमुनिजी म.सा. अणु के दिव्यशीष एवं पूज्य प्रवर्तक बुद्धपुत्र श्री जिनेद्रमुनिजी म.सा. की आज्ञा से तत्वज्ञ श्रीधर्मेन्द्रमुनिजी म.सा. आदि ठाणा – 5 एवं सरलमना पूज्या श्री निखिलशीलाजी म.सा. आदि ठाणा – 4 के पावन सानिध्य में ओलिजी तप की आराधना चल रही है। आज पांचवें दिन पूज्य श्री ने गुरुदेव की आरती की अनुप्रेक्षा करते हुए नमो लोए सव्वसाहूणं की आराधना का महत्व बताया। उन्होने कहा कि घर के साथ ममता जुड़ी हुई होती है जबकि उसका त्याग करने वाले अणगार कहलाते है। पाँच पद में 4 पद साधक कहलाते है जबकि नमो सिद्धाणं पद साधना का फल रूप होता है इसलिए चारित्र की आराधना सिद्ध बनने के लिए की जाती है। उन्होने कहा कि आयम्बिल व निवि तप आहार शुद्धि रूप है उसके साथ जप व ध्यान का फल विशेष होता है इसलिए आज के दिन दृढ़ता का प्रतीक रूप कालें घने बादल के रूप 27 लोगस्स, 27 माला का जप का ध्यान करना चाहिए। इस अवसर पर अखिल भारतीय श्री चन्दना श्राविका संगठन डुंगरप्रान्त द्वारा आयोजित एक दिवसीय नारी संस्कार एवं पाठशाला शिक्षिका प्रशिक्षण शिविर को मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए पूज्य श्री ने कहा कि नारी को संस्कार दात्री कहा गया है लेकिन उसे भी संस्कारों की आवश्यकता रहती ही है। जिस प्रकार कुशल शिक्षक पढ़ाई कर विशेष योग्यता हासिल कर बच्चों को पढ़ाता है वैसे ही संस्कारित नारी घर परिवार में सुसंस्कारों का निर्माण करती है। उन्होनें कहा कि आजके युग में भोग के साधन बड़ने से भोग वृत्ति बड़ी है जिसके परिणाम से जीव पाप करने में संकोच नही करता है वही सोशल मीडिया पर पाप का प्रदर्शन भी कर रहा है जिससे अन्य भी पाप में रुचि लेने लग जाते है इसी देखा देखी से संस्कार बिगड़ रहे है संस्कार शिविर के माध्यम से उनमें संस्कारों का बीज अंकुरित किया जाता है जिससे वे भविष्य में संस्कारों का निर्माण में सहायक बन सके। इस अवसर पर धर्म सभा को पूज्य श्री सुयशमुनिजी ने संबोधित करते हुए निगोद से निर्वाण तक कि यात्रा पर मार्मिक प्रवचन देते हुए कहा कि जीव अनादि काल से यात्रा करते हुए अन्य की जय जयकार करता आ रहा है लेकिन अब उसे मनुष्य भव में जिनशासन मिला सुगुरु का सानिध्य भी मिल गया है इसलिए आत्मज्ञान का बोध पाकर वह अपना जीवन सफल बना सकता है। उन्होनें गुरुदेव के प्रार्थना काव्य संग्रह अब जय हो अपनी अपनी भी की अनुप्रेक्षा करते हुए कहा कि संसार सागर से मानव शरीर रूपी नाव से आत्मा रूपी नाविक को तिराया जा सकता है। धर्मसभा में नारी सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए पूज्यश्री ने कहा कि पृथ्वी के भार की तरह नारी भी माँ, बहन, बेटी, पत्नी, बहू बनकर घर का भार उठाती है। उन्होनें कहा कि व्यसन युक्त युग में टीवी मोबाइल ने सबसे ज्यादा संस्कारों को हानि पहुँचाई है जिससे बचने की आवश्यकता है खासकर गर्भवती नारी को इन चीजों से दूर रहना चाहिए नही तो बच्चा गर्भ से ही संस्कार विहीन हो सकता है। वही संस्कारित नारी अपने घर परिवार को भी धर्म से जोड़कर रखती है। इस अवसर पर साध्वी निखिलशीलाजी म.सा. ने भी नारी सम्मेलन में नारियों की क्लास लेते हुए नारी को उसकी शक्ति का परिचय कराया। उन्होनें कहा कि भगवान के शासन में भी साधु व श्रावक की तुलना में साध्वी व श्राविका कही अधिक थी वही आगम में अनेक प्रसंग नारी की प्रधानता को प्रदर्शित करते है इसलिए वर्तमान समय में भी लज्जा नारी का गहना मान कर अपने आपको मर्यादा में रखना चाहिए। इस अवसर पर पूज्याश्री ने सन्नारी का महत्व प्रतिपादित करते हुए सामूहिक भोज में झूठा नही डालना, सड़कों पर नही नाचना, पुरुष से नाच गाना नही सीखना, पर पुरुष से मेहंदी नही लगवाना आदि अनेक नियम करवाये। अंत में गुरु भगवन्तों ने सबको संस्कारों की शिक्षा देते हुए कहा कि समय की मर्यादा होती है इसलिये थोड़ा कहा ज्यादा समझने का प्रयास करना। धर्म सभा में संगठन की थांदला इकाई ने स्वागत स्तवन प्रस्तुत किया, डुंगरप्रान्त अध्यक्षा इंदु कुवाड़ नें सभी नारियों का स्वागत कर सहयोगी संस्थाओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया गया। श्रीसंघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत ने गुरु भगवन्तों के सानिध्य में आयोजित एक दिवसीय नारी सम्मेलन शिविर के लिए शुभकामनाएं व्यक्त की गई पिंकी नीलेश पावेचा ने मंगल स्तवन प्रस्तुत किया सभा का संचालन संघ सचिव प्रदीप गादिया ने किया। 

नारी संस्कार शिविर में हुए आयोजन 

अखिल भारतीय चन्दना श्राविका संगठन के तत्वाधान में आयोजित शिविर में गुरुभगवन्त के अलावा स्वाध्यायी विनीत वागरेचा एवं नीरज मूणत ने भी क्लास ली। वही संगठन की सदस्यों द्वारा एकत्रित उपहारों का बिग बाजार लगाते हुए व्रत नियम लेने वालों को उपहार भेंट किये। इस दौरान सभी नारियों के लिये प्रेमलता भंवरलाल लोढ़ा परिवार एवं मनीष कुमार स्वीटी मनोज कुमार जैन द्वारा आकर्षक उपहार प्रभावना स्वरूप दिए गए। वही झूठा नही डालते हुए थाली धोकर पीने वालें व ओलिजी तप आराधकों को मनीष कुमार अमृतलाल चोपड़ा परिवार द्वारक तथा इस दौरान आयोजित प्रश्नमंच के लिए मानकुंवर शाहजी द्वारा प्रभावना प्रदान की गई। नारी सम्मेलन में उपस्थित सभी अतिथियों के आतिथ्य सत्कार एवं प्रवचन प्रभावना का लाभ सानिया मयूर कुमार वर्धमान कुमार तलेरा परिवार ने लिया।   

शिविर में रही इनकी सक्रिय भूमिका

नारी संस्कार एवं पाठशाला शिक्षिका शिविर में थांदला के अलावा रतलाम, दाहोद, कुशलगढ़, झाबुआ, मेघनगर, पेटलावद, खवासा, करवड़, बामनिया, डूंगर मालवा आदि स्थानों की 186 नारियों ने शिरकत की वही शिविर को सफल बनाने में संगठन डुंगरप्रान्त आध्यक्षा इंदु कुवाड़, उपाध्यक्ष व धर्मलता महिला मंडल अध्यक्षा सुधा शाहजी, महामंत्री सानिया तलेरा, सचिव रश्मि घोड़ावत, स्वीटी जैन, संध्या भंसाली, दीपा शाहजी, तारा चपलोत, विभा जैन, उषा भंसाली, हेमा मेहता,  रोमी पालरेचा, चंदा भंसाली, अमिता गादिया, स्वीटी कांकरिया, विनीता कांकरिया, नेहा लोढ़ा, शांता शाहजी, माधुरी छाजेड़, स्नेहलता व्होरा आदि नारी संगठन की पदाधिकारियों के अलावा मन्दिर मार्गी महिला संघ अध्यक्षा आभा पीचा, इंदुबाला छिपानी, निशा पीचा, श्री ललित जैन नवयुवक मंडल अध्यक्ष रवी लोढ़ा, संदीप शाहजी, अखिलेश श्रीश्रीमाल, मंगलेश श्रीमाल, हितेश शाहजी, मिलिंद कोठारी, अजय सेठिया, अंकित जैन, अमित शाहजी, संघ प्रवक्ता पवन नाहर की भूमिका सराहनीय रही।

Leave A Reply

Your email address will not be published.