गुरुदेव श्री उमेशमुनिजी “अणु” का दसवाँ पुण्य स्मृति दिवस मनाया

0

खवासा। प्रसिद्ध जैन संत,आचार्य पूज्य गुरुदेव श्री उमेशमुनिजी “अणु” का दसवाँ पुण्य स्मृति दिवस विदुषी महासती पूज्याश्री संयमप्रभाजी “संयम” आदि ठाणा 7 के सान्निध्य में जप तप त्याग से मनाया गया। इस अवसर पर महासती पूज्याश्री संयमप्रभाजी मसा ने फरमाया कि पूज्य आचार्य भगवंत को गुजरे आज 10 वर्ष हो गए। गुरुदेव शरीर से हमारे बीच नहीं है किंतु सदशिक्षा, सदसाहित्य के माध्यम से वे हमारे बीच आज भी मौजूद है। गुरुदेव ने मोक्ष के लिए पुरुषार्थ किया और ऐसा प्रचंड पुरुषार्थ किया कि वे भक्तों के लिए भगवान बन गए। गुरुदेव स्वयं तो तीरे ही साथ ही साथ वे दूसरों के लिए भी तारणहार बन गए। तीर्थंकर भगवान की तरह ही आचार्य भगवंत भी राग-द्वेष से परे थे।  पूज्य गुरुदेव का आभामंडल ही ऐसा था कि उनके सान्निध्य में बैठे लोग समस्त वैर भाव भूलकर वैर का विसर्जन कर देते थे। गुरुदेव ने कई लोगों का जीवन बदलने का कार्य किया। लोग उनकी एक नजर पाने को लालायित रहते थे। पूज्यश्री अंतिम समय तक उत्कृष्ट संयमचर्या के प्रति सजग रहे। गुणानुवाद सभा को पूज्या प्रज्ञाश्री जी मसा ने संबोधित करते हुए कहा कि आगम और अणगार के आलंबन से ही मोक्षमार्ग पर आगे बढ़ा जा सकता है। आचार्य भगवंत के वचन हमारी साधना में वेग प्रदान करने वाले होते थे। आज भी कई बार उनकी स्मृति उभर आती है। उनकी शिक्षा, साधना आज भी हमे आलंबन देती है। पूज्याश्री सुज्ञाजी मसा ने फरमाया कि आचार्य श्री मनुष्य जन्म को सार्थक करते हुए लाखों भक्तों के भगवान बन गए। उन्होंने गुरु आज्ञा में ही धर्म माना और गुरुचरणों में ज्ञानार्जन किया। उन्होंने कई जीवों को मोक्षमार्ग में आगे बढ़ाया। गुणानुवाद सभा में पूज्याश्री हितज्ञाजी मसा, पूज्याश्री सौम्यप्रभाजी मसा,प्रेक्षाजी म.सा. आदि साध्वियों सहित प्रकाश नाहटा कुशलगढ़, हेमंत चोपड़ा ने भी गुरुदेव से संबंधित संस्मरण सुनाए।

50 से अधिक तपस्या हुई

महासती पूज्याश्री संयमप्रभाजी जी संयम की सद्प्रेरणा से खवासा जैसे छोटे से संघ में करीब 10 उपवास सहित 50 के लगभग एकाशन-बियाशन, आयंबिल हुए। उपस्थित जन ने तीन-तीन सामायिक करते हुए अन्य प्रत्याख्यान भी लिए। आज के आतिथ्य सत्कार और प्रभावना का लाभ शैतानमल चौपड़ा परिवार ने लिया। संचालन कमल चोपड़ा ने किया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.