महिलाओं ने की सुख सम्रद्धि की कामना, माता को लगाया भोग

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जितेंद्र वाणी, नानपुर

नानपुर में गुरुवार को शीतला सप्तमी मनाई गई। महिलाओं ने संतान की सुख-समृद्धि, स्‍वास्‍थ्‍य रक्षा व परिवार की खुशहाली के लिए देवी मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की। मंदिर के व्यवस्थापक मनोहरलाल वाणी ने बताया की शीतला सप्तमी और अष्‍टमी के दिन माता शीतला के पूजन का विधान है, जिन्‍हें मां पार्वती का स्‍वरूप माना जाता है। बड़ी संख्या में महिलाएं माता मंदिरों में पहुंचकर पूजा अर्चना करती है। महिलाओं द्वारा बसोरा (रात को भोजन) का भोग लगाया जाता है। महिलाएं संतान की सुख-समृद्धि, दीर्घायु, स्वास्थ्य की कामना के साथ मठ-मंदिरों में सुबह स्नान के बाद बसोरे की थाली सजाकर एवं पूजा सामग्री के साथ जल कलश भरकर माता शीतला की पूजा करती है। पूजा का समापन अपने क्षेत्र में जलाई गई होली के स्थान की पूजा के बाद होता है।  

डॉ रामेश्वर  गुप्ता जी ने बासी (ठंडा) प्रसादी  का महत्व बताया ।शीतला सप्तमी-अष्टमी हिन्दुओं का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें शीतला माता का व्रत और पूजन किया जाता है। शीतलाष्टमी का पर्व होली के सम्पन्न होने के पश्चात मनाया जाता है। देवी शीतला की पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से आरंभ होती है। अष्टमी के दिन शीतला मां की पूजा अर्चना की जाती है और पूजा के पश्चात बासी (ठंडा) खाना ही माता को भोग लगया जाता है। जिसे बसौड़ा कहा जाता हैं। वहीं बासी भोजन प्रसाद के रूप में खाया जाता है। यही नैवेद्य के रूप में समर्पित सभी भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया  जाता है।

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