नृसिंह-ऋषभदेव मंदिर का निर्माण सर्वसमाज निर्णयानुसार होगा

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थांदला। नगर के मध्य स्थित भक्त संत मलूकदास की प्राचीन धरोहर नृसिंह-ऋषभदेव मंदिर जो जैन एवं सनातन धर्मावलिम्बयों की आस्था का केन्द्र होकर जिसके जीर्णोद्धार को लेकर विगत पन्द्रह वर्षो से दोनो समुदायों के मध्य विवाद चला आ रहा था। इस मन्दिर के निर्माण को लेकर 10.10.2012 को अनुविभागीय दण्डाधिकारी की अध्यक्षता में सर्वसमाज की बैठक में यह निर्णय लिया गया था की नव निर्माण के दौरान इसके मूल स्वरूप में किसी प्रकार का परिवर्तन नही किया जावेगा और नृसिंह एवं ऋषभदेव जी की प्रतिमाओं को समान आसन, समान शिखर के साथ मूल स्वरूप में मूल स्थानों पर स्थापित किया जावेगा तथा मन्दिर का मुख्य व्दार उत्तर में रखने के साथ ही एक व्दार पूर्व दिशा में भी रखा जावेगा।

उक्त सर्वसमाज बैठक के निर्णय को मूर्ति पूजक जैन समाज ने तत्समय स्वीकार किया नव निर्माण के लिये प्राचीन मन्दिर को हटाकर भूतल में परिवर्तित करते हूए निर्णय के विरूद्ध जाकर बीना माॅडल नक्शा व सहमती के मन माने तौर से निर्माण कार्य प्रारम्भ करने पर न्यायालय एसडीएम व्दारा स्थगन आदेश प्रसारित किये जाने से निर्माण कार्य रूका हुआ है। जिसके उपरांत से विगत दस वर्षो से दोनो समुदायों के मध्य विवाद चला आ रहा था। गत माह जैन तीर्थ मोहनखेडा के गच्छाधिपति ऋषभचन्द्र विजयजी म.सा. के सुशिष्य पियुषचन्द्र विजय जी म.सा. के झाबुआ थांदला आगमन पर नृसिंह भक्त मण्डल एवं सनातन धर्मसभा के प्रतिनिधियों ने उनसे भेंट कर मन्दिर विवाद सबंधी वास्तविक तथ्यों से अवगत कराते हूए मन्दिर निर्माण कार्य करवाने का आग्रह किया जिस पर मुनी श्री ने प्रतिनिधि मण्डल को मन्दिर निर्माण करवाने के लिये आश्वस्त किया था।

मुनीश्री की पहल के परिणाम स्वरूप गत तीन माह से जैन एवं सनातन धर्मावलम्बियों में मन्दिर निर्माण को लेकर लगातार चर्चाओं का दौर चलता रहा। प्रेम सामाजिक एकात्मता के रंगारंग पर्व होलीका उत्सव के अवसर पर चित्तौडगढ में विराजित जैन मुनि पियुषचन्द्रविजयजी, जनकचन्द्रविजय जी म.सा. व जिनचन्द्रविजय जी म.सा. व्दारा आमंत्रित करने पर पूनः मूर्ति पूजक जैन समाज के प्रतिनिधी प्रफुल पोरवाल व कमलेश जैन दायजी एवं सनातन धर्मावलिम्बयों की और से प्रतिनिधिमण्डल अशोक अरोरा, गगनेश उपाध्याय,लक्ष्मण राठौड, विनित शर्मा, दिलीप डामोर, मनोहर परिहार, जितेन्द्र राठौड, रोहित भयु बैरागी, धवल अरोरा ने भेंट कर मन्दिर निर्माण के नक्शे एवं माॅडल को प्रोजेक्टर के माध्यम से समझा जो की सर्वसमाज के निर्णयानुसार होने से दोनो पक्षों के मध्य सहमती स्वरूप नक्शे को स्वीकृति दी गई। इस अवसर पर जैन मुनि ने अपने आर्शीवचन में कहाॅं की भक्त संत मलूकदास सिद्ध महानसंत थे उन्होने दिपमालिका के सामने जिस भावना से दोनो समाजों की एकात्मता के लिये मन्दिर का निर्माण किया था उसके मूल स्वरूप को ध्यान में रखतें हूए मन्दिर का निर्माण पूज्य गुरूदेव ऋषभचन्द्रविजय जी म.सा के संकल्प स्वप्न अनुसार किया जावेगा तथा इस मन्दिर के निर्माण के साथ नगर की सुख शांति एव समृद्धि में वृद्धि होगी। अंचल में सामाजिक एकात्मता व सदभाव भी बना रहेगा। यह मन्दिर सम्पूर्ण देश में अपनी एक अलग छटा बिखेरते हूए किर्ती स्थापित करने वाला होगा। मन्दिर निर्माण के पूर्व दोनो समाजजनों ने जैन एवं सनातन धर्मावलम्बियों का मैत्री सम्मेलन आयोजित करने की मंशा भी प्रकट करी। जिसे आगामी दिनों में स्वयं की उपस्थिति में सम्पन्न करने की सहमती मुनी श्री ने दी ।

उक्त सहमती पर नरसिंह भक्त मंडल के संरक्षक नारायण भट्ट, कल्लाजी धाम के गादीपति गिरीश धानक, नगर परिषद अध्यक्ष बंटी डामोर उपाध्यक्ष मनीष बघेल ,हनुमान  मंदिर बावड़ी के महंत नारायण दास जी शांति आश्रम के महंत सुखराम दास जी, वरिष्ठ पत्रकार डॉ उमेश शर्मा , नरसिंह भक्त मंडल के सचिव सचिन सोनी, डॉक्टर सागर मित्रा,  ग्रामीण प्रखंड के शांति बारिया चेनपुरी मंदिर के महंत रामदास, समर्थ गुरु प्रजापत, मोहन गवली, सांवरिया मंदिर के प्रबंधक नंदू पटेल, समर्थ उपाध्याय, राकेश सोनी, नागर समाज के दिनेश नागर द्वारा हर्ष प्रकट करते हुए निर्णय का स्वागत किया l समाचार नगर में विभिन्न सामाजिक माध्यमों से पहुंचने पर सम्पूर्ण नगर में हर्ष की लहर दोडने लगी समाजजनों ने एक दूसरो को बधाईयाॅ देने का सिलसिला चल रहा है ।

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