पुलिस रिमांड में हमीद ने किसका लिया नाम; क्या प्रशासन फिर कोई बड़ी कार्यवाही के मुड़ में; जानिए डिटोनेटर और जिलेटिन छड़ो के हुए मामले में पूरी अपडेट ….

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सलमान शैख @ झाबुआ Live

पूरा झाबुआ जिला बारूद के ढेर पर बैठा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि खतरनाक विस्फोटक बिखरे पड़े हैं। कहीं खदानों में विस्फोटकों का प्रयोग हो रहा है तो कहीं पहाड़ी तोडने के लिए। हालात यह हैं कि इससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है।
बीते शनिवार को पुलिस और राजस्व की संयुक्त टीम द्वारा डेटोनेटर और जिलेटिन की अवैध भंडारण पर हुई बड़ी कार्रवाई के बाद स्थानीय पुलिस और प्रशासन जरूर तारीफ के काबिल है। टीआई संजय रावत ने बताया पुलिस ने आरोपित अब्दुल हमीद मंसुरी को शनिवार को न्यायालय में पेश किया था, इसके बाद पुलिस को न्यायालय से दो दिन की रिमांड मिला था। इसमें आरोपित से पूछताछ की गई तो हमीद ने पूरा माल दुल्लाखेड़ी में स्थित गौदाम के मालिक गोबा मैड़ा से लेना बताया है। वहीं जब आरोपित का लाइसेंस चेक किया गया तो उसके लाइसेंस की अवधि 20 मार्च 2020 को ही खत्म हो गई थी। हमीद के पास शार्ट फायर का लाइसेंस था, इसके पास भंडारण का लाइसेंस नहीं था। मामले में पुलिस ने गोबा मैड़ा को भी हिरासत में लिया है और उससे पूछताछ की जा रही है। पुलिस उन हर पहलुओं पर जांच कर रही है, जो 6 वर्ष पूर्व हुए ब्लास्ट के बाद जांच अधिकारियों से छूट गए थे और यही वजह थी कि ब्लास्ट में बनाए गए आरोपितों को न्यायालय द्वारा साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था। अब ऐसा न हो इसलिए पुलिस द्वारा बारिकी से जांच की जाकर सभी साक्ष्य जुटाए जा रहे है। उम्मीद यही जताई जा रही है कि इस मामले में और भी नाम सामने आएंगे, जो इससे जुड़े है।
इधर..प्रशासन एक बड़ी कार्यवाही करने की तैयारी में है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रशासन आरोपित का मकान जो उसकी मां के नाम पर है उसे जमींदोज करने की तैयारी में है।
ऐसा इसलिए माना जा रहा है कि नगर परिषद ने आरोपित की मां को नोटिस थमाया है और संपत्ति का ब्यौरा मांगा है। साफ है कि प्रशासन पूरी तैयारी से आगे की कार्यवाही में जुटा हुआ है। हालाकि आरोपित के नाम से कोई भी मकान दर्ज नहीं है, लेकिन आरोपित उसी मकान में रहता है, जहां से डेटोनेटर और जिलेटिन छड़े बरामद हुई है। यह मकान उसकी मां आमना बी के नाम से हैं। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि प्रशासन का अगला कदम क्या रहेगा।

नियमो की अगर बात की जाए तो नियम कहते हैं, विस्फोटक सामग्री आबादी से दूर सुरक्षा उपायों के साथ रखी जानी चाहिए, लेकिन पेटलावद में ऐसा कुछ नहीं हो रहा। एक तो बिना लाइसेंस और ऊपर से आबादी के बीच बारूद का खतरनाक कारोबार। हकीकत ये है कि पेटलावद में करीब दो दर्जन से अधिक कारोबारी कुओं, नहरों और खदानों में विस्फोट करने का काम कर रहे हैं और जिले में ऐसे करीब 200 कारोबारी है।
ऐसा अंदेशा है कि इनकी विस्फोट सामग्री भी पेटलावद में रहवासी इलाके में ही रखी गई है, यानी यहां बिना विस्फोट पहले ही नियमों के परखच्चे उड़ाए जा रहे थे। जिस तरह से डेटोनेटर और जिलेटिन का स्टॉक कुम्हार मोहल्ले में अब्दुल हमीद मंसूरी ने रखा गया था, वह काफी खतरनाक था।

जिलेटिन छड़ बेचने से लेकर ब्लास्ट करने तक के-
हर महीने कितनी जिलेटिन छड़ें बेची है, इसका हिसाब संबंधित थाने में देना अनिवार्य है, लेकिन ऐसा होता नहीं है। दुल्लाखेड़ी स्थित गोदाम से जब शार्ट फायर के लिए हमीद ने डेटोनेटर और जिलेटिन लिए थे तो फिर नियमानुसार उसे शाम तक जमा क्यों नही कराए गए और गोदाम मालिक की भी इस मामले में जवाबदेही बनती है कि उसने वापस बचे माल की जानकारी क्यों नहीं जुटाई और उसे गोदाम में रखवाया। यही नहीं जब हमीद का लाइसेंस अवधि समाप्त हो गई थी तो उसे किस एवज में ब्लास्टिंग के लिए डेटोनेटर और जिलेटिन दिए गए। कुल मिलाकर पूरा व्यवसाय अवैध रूप से चल रहा था। नियमो के मुताबिक कहां कितना ब्लास्ट हुआ, कितनी छड़ें बिकी, किसके खेत में विस्फोट किया, माइनिंग क्षेत्र में कौनसा ठेकेदार विस्फोट कर रहा है, इसकी जानकारी पहले से प्रशासन को देना चाहिए, लेकिन ये हो नहीं रहा। जबकि इस तरह की विस्फोटक सामग्री को सुरक्षित रखने के भी नियम कायदे होते हैं, जिले में कानूनी और गैर कानूनी रुप से इस तरह के विस्फोटक सामग्री को देखने के लिए भी गंभीरता बरतना होगी।

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