भगवान कृष्णा और माता रूखमणी का विवाह का आनन्द में भक्त झूमे

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पारा। श्रीमद् भागवत कथा के षष्टम दिवस श्री कृष्णा लीला कथा वृतांत का वर्णन करते हुए पूज्य महाराज श्री जी ने बताया कि वृंदावन में रहते हुए भगवान श्री कृष्ण ने अपने केशों को कभी नहीं उतारा। पैरों में पादुका गृहण नहीं की, सिले हुए वस्त्र धारण किए और किसी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग भी नहीं किया। श्रीमद् भागवत कथा के षष्टम दिवस पर पूज्य महाराज श्री जी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने अपनी प्रत्येक लीला के माध्यम से मानव मात्र को कोई ना कोई संदेश अवश्य दिया है भगवान श्री कृष्ण के प्रत्येक लीला में प्राणी मात्र के लिए जीवन के सूत्र समाप्त समाहित है भगवान श्रीकृष्ण ने जिस स्थान को एक बार छोडा दोबारा उस स्थान पर कभी नहीं गए।

 पांच प्रकार की गोपियों का वर्णन

श्रीमद् भागवत कथा के षष्टम दिवस पूज्य महाराज श्री जी ने गोपियों के चरित्र का वर्णन करते हुए उपस्थित जनमानस को बताया कि वृंदावन में अनेक प्रकार की सभी आयु वर्ग की गोपिया निवास करती थी। जो पांच प्रकार के भाव भगवान कृष्ण के प्रति धारण करती हैं इसमें दास, सख्य, माधुर्य, वात्सल्य, स्वामी। धर्म रक्षक के प्रमुख वालसिंह मसानिया ने बताया कि श्रीमद,भगगवत कथा में ब्रह्ममाकुमारी  शान्ति धाम से दीदी आये और भागवत कथा ओर गांव वालो का बहुत प्रशंसा करी, ओर जो बातें गुरूदेवजी ने बताये है उनको ग्रहण करना है। जिला भाजपा महामंत्री सोमसिंह सोलंकी,  आशाराम बापू की प्रेरणा युवा सेवा समिति की पूरी टिम, व्यासपीठ का स्वागत करा। आज की महाप्रसादी का आनन्द भूरा, बारिया, खपेड, चौहान परिवार रोटला वाले ने लाभ लिया। महालक्षमी यज्ञ में केशरसिंह भूरिया, बापू चपका, करन भूरिया, ने जोड़ी से बैठ कर यज्ञ किया।

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