युवाओं को कर्म पुरुषार्थ परिश्रम करने का संदेश

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पारा। धर्म रक्षक सेवा समिति द्वारा आयोजित भागवत कथा में व्यासपीठ पर आचार्य महामंडलेश्वर 1008 स्वामी श्री प्रणवानन्द सरस्वती महाराज वृंदावन धाम ने प्रवचन दिए। श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस महात्मय में पूज्य महाराज श्री ने धुंधकारी प्रसंग का वर्णन करते हुए नव पीढ़ी युवाओं को कर्म पुरुषार्थ परिश्रम करने का संदेश दिया पूज्य महाराज श्री ने कथा का वर्णन करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण साक्षात प्रत्यक्ष भगवान श्री कृष्ण का वांग्मय स्वरूप है परमात्मा कृष्ण की चैतन्य शक्ति श्रीमद् भागवत में समाहित है अपने स्वधाम गमन के समय प्रभु का ज्योति स्वरूप श्रीमद् भागवत में समाहित हुआ था

-पाखंड नहीं,अपितु सत्य आधारित हो हमारी साधना

पूज्य महाराज श्री ने साधक जीवन का वर्णन करते हुए साधकों के प्रति संदेश दिया कि हमारी साधना बाह्य जगत आधारित ना होकर अंतरंग की होनी चाहिए काल्पनिक आभाषित संसार से बाहर निकल कर सत्य आधारित व्यवहारिक जीवन साधना होनी चाहिए

-ईश्वर एक है

श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस भगवान के चौबीस अवतारों का वर्णन करते हुए पूज्य महाराज श्री जी ने कहा कि सनातन धर्म में ईश्वर एक है परमात्मा की व्याप्ति विभिन्न में स्वरूपों में हो सकती है जो कि एक ही तत्व का विस्तार है l

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