झाबुआ में जनसुनवाई बनी मजाक, ट्रांसफर हो चुके डिप्टी कलेक्टर के भरोसे जिले की जन – समस्याएं

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नवनीत त्रिवेदी@झाबुआ

झाबुआ जिले में जनसुनवाई महज औपचारिकता बन कर रह गई है। विगत कई जनसुनवाई में ना तो कोई जिला अधिकारी उपस्थित रहे हैं और ना ही जिले के प्रशासनिक मुखिया। औपचारिकता कहे या शासन के निर्देशों के परिपालन के नाम पर कर्तव्यों की इतिश्री। कुल मिलाकर जनसुनवाई  ‘जन की सुनवाई’ ना रह कर महज कुछ घंटों तक एक डिप्टी कलेक्टर सहित कुछ विभागों के कर्मचारियों द्वारा जनसुनवाई के नाम पर आवेदन लेकर अपना कर्तव्य पूर्ण कर लिया का रहा है।

ये है नियम 

शासन के निर्देशानुसार हर जिले में प्रति मंगलवार जिले के प्रशासनिक मुखिया कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, अपर कलेक्टर सहित तमाम जिलाधिकारियों को जनसुनवाई में बैठना होता है, कलेक्टर जनसुनवाई में आने वाले आवेदकों का आवेदन लेकर उनकी समस्या सुनते हैं एवं तत्काल संबंधित विभाग को मार्क कर 7 दिनों में समस्या का निराकरण करने हेतु निर्देशित करते हैं। कलेक्टर अगर किसी प्रशासनिक कार्य, बैठक अथवा दौरे पर है तो उनकी जगह मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत या अपर कलेक्टर अनिवार्य रूप से जनसुनवाई में जन समस्या सुनते हैं मगर यहां सिर्फ एक डिप्टी कलेक्टर के भरोसे ही जनसुनवाई  चल रही है।

डिप्टी कलेक्टर के तबादला को हुआ एक माह पूर्ण 

जिले की जनसुनवाई जिन डिप्टी कलेक्टर डॉ अभयसिंह खराड़ी के भरोसे चल रही है, उनका तबादला हुए आज एक माह पूर्ण हो चुका है। पिछले माह 14 जनवरी को राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों  की तबादला सूची जारी हुई थी। उसमें डिप्टी कलेक्टर डॉ अभयसिंह खराड़ी को अवर सचिव मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग बना कर भोपाल पदस्थ किया गया था मगर एक माह बीत जाने के बाद भी डिप्टी कलेक्टर खराड़ी का जिले से कार्यमुक्त ना होना विचारणीय है।

खेर अभी सभी जिला अधिकारी किसी व्यक्तिगत समारोह की तैयारी मैं व्यस्त हैं, सबको अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई है। कोई मेहमानों की आवभगत तो कोई मेहमानों के रुकने संबंधी कार्य संपादित कर रहा है, हो सकता है इस व्यक्तिगत  आयोजन के बाद जनसुनवाई असल में जन  की सुनवाई दिखाई दे।

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