बुद्धपुत्र प्रवर्तक श्रीजी सहित 6 भव्य आत्माओं की दीक्षा जयंती मनाई

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थांदला। पूज्य श्री धर्मदास गण के नायक जैनाचार्य पूज्य श्री उमेशमुनिजी म.सा.  “अणु” के अंतेवासी शिष्य बुद्धपुत्र प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी म.सा. एवं मालव सिंहनी पुण्य पुंज विदुषी महासती पूज्या श्री पुण्यशीलाजी म.सा. की 35वीं एवं पूज्य श्री वर्धमानमुनिजी, अणु वत्स पूज्य श्री संयतमुनिजी, वत्सल्यमूर्ति पूज्या श्री दिव्यशीलाजी (माताजी म.सा.) एवं सरलमना पूज्या श्री प्रियशीलाजी म.सा. की 26वीं दीक्षा जयंती (माघ सुदी दशमी) थांदला संघ ने प्रवर्तक श्री की आज्ञानुवर्ती विदुषी महासती पूज्या श्री निखिलशीलाजी म.सा. आदि ठाणा- 4 के पावन सानिध्य में तप त्याग से मनाई गई। इस अवसर पर आजाद मार्ग स्थित पौषध भवन पर आयोजित गुणानुवाद सभा में पूज्या श्री निखिलशीलाजी म. सा. ने प्रवर्तक श्री के उपकारों को याद करते हुए कहा कि जिस प्रकार महाभारत में अभिमन्यु ने चक्रव्यूह को तोड़ा था उसी प्रकार से प्रवर्तकश्री ने परिवार, पद, समाज, सम्प्रदाय, इंद्रियों व मन के घेरे को तोड़ते हुए संयम मार्ग पर अग्रसर हुए। उन्होंने कहा जैसे संसारियों को जन्म से ज्यादा शादी के उत्सव मनाने की खुशियां अधिक रहती है वैसे ही संयमी को संयम मार्ग में प्रविष्ट होने की ज्यादा खुशी होती है क्योंकि वे इस दिन संसार के सभी प्राणियों को अभयदान देते हुए एक मोक्ष के लिए निर्वध्य साधना करने लगते है। उन्होंने दादा गुरुदेव जैनाचार्य उमेशमुनिजी के पावन नाम का स्मरण करते हुए कहा कि आज वे उनकी पाट परम्परा का सकुशल संचालन करते हुए विचरण कर रहे है उनके सानिध्य एवं उनकी आज्ञा में ही आज चतुर्विध संघ प्रभु महावीर के बताए मार्ग पर चलते हुए धर्म प्रभावना कर स्व-पर कल्याण कर रहा है उन्होंने पिता महाराज एवं माताजी महाराज के साथ भाई बहिन महाराज के भी गुणों का स्मरण किया । गुणानुवाद सभा में पूज्या श्री प्रियशीलाजी म. सा. ने कहा कि जन्म जीवन और संस्कार तो हर माता-पिता देते है लेकिन संयम मार्ग पर चलने का साहस विरले ही माता-पिता दिखा पाते है। उन्होंने कहा कि आज वे अपने उपकारी माता-पिता व भाई बहिन म.सा. के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ कि उन्होंने आत्मलक्ष्य का जो मार्ग चुना उस पर मुझे भी आगे बढ़ाया। उन्होंने उपकारी गुरु प्रवर्तकश्री एवं गुराणी पुण्यशीलाजी म.सा. के वात्सल्यमयी आशीर्वाद के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि आज गुरु गुराणी के उपकार ही रहे कि उन्होंने मेरा वैराग्य दृढ़ कर मुझे चारित्र आराधना में सम्बल देते हुए आगम का ज्ञान दिया। इस अवसर पर दीप्तिश्रीजी म.सा. ने भी स्तवन के माध्यम से सभी चारित्रिक आत्माओं को बधाई दी। दीक्षा प्रसंग पर आयोजित गुणानुवाद धर्म सभा का संचालन करते हुए श्रीसंघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत ने सकल संघ कि ओर से पूज्य प्रवर्तकश्री सहित सभी मोक्षार्थी आत्माओं द्वारा जिन शासन की प्रभावना में अहम योगदान के लिए उपकार मानते हुए उनकी आरोग्यतामय दीर्घ जीवन की मंगल कामना व्यक्त की। उन्होंने विराजित माताजी म.सा. एवं प्रियशीलाजी म. सा. की संघ पर कृपा एवं उनके द्वारा संघ में निरन्तर धर्म आराधना के संचार के लिए कृतज्ञता व्यक्त की। धर्मलता महिला मण्डल कि ओर से श्रीमती सुनीता छाजेड़ ने मंगल स्तवन के माध्यम से भाव व्यक्त किये

इस अवसर पर आयोजित चारित्र आराधना में सामायिक का पचौला करने वाले श्रवाक श्राविकाओ को कमल वागरेचा (बामनिया) तथा गुणानुवाद धर्म सभा की प्रभावना का लाभ मनीष मनोज जैन तथा अंकित शैतानमल लोढ़ा द्वारा लिया गया। इस अवसर पर अनेक तपस्वियों ने एकासन, आयम्बिल आदि विविध तप के प्रत्याख्यान ग्रहण किये। उक्त जानकारी संघ के प्रवक्ता पवन नाहर ने देते हुए बताया कि महापुरुषों के दीक्षा प्रसंग पर संघ में सामूहिक एकासन तप, पाँच – पाँच सामयिक एवं महामंत्र नवकार के जाप भी रखे गए जिसमें अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। उल्लेखनीय है कि पूज्य श्री धर्मदासगण के नायक प्रवर्तक श्री अपने गुरु भाइयों एवं शिष्य सम्पदा के साथ मधुर व्याख्यानी पूज्या श्री प्रवीणाश्रीजी म.सा., पूज्या श्री मधुबालाजी म. सा. आदि आज्ञानुवर्ती संत – सतियों के साथ नागदा (धार) में विराजित है व उनके सानिध्य में आज सियलश्री जी म.सा. की बड़ी दीक्षा का शुभ प्रसंग है जिसकी अनुमोदना में अनेक स्थानों के श्रावक श्राविकाओं ने वहाँ जाकर अनुमोदना का लाभ लिया है।

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