मयंक विश्वकर्मा@ आम्बुआ
दीपोत्सव के बाद आगामी चौदस की रात ग्रामीण छोटी दिवाली मनाते हैं कई स्थानों पर आदिवासी समाज के बाबा देव, भिलवट आदि धार्मिक स्थलों पर पूजा के बाद मुर्गों तथा बकरों की बलि देने की परंपरा है इस हेतु साप्ताहिक हाट बाजारों में इनकी मांग बढ़ने से भाव भी बढ़ रहे हैं।
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस को दीपावली का पूजन आदि का विधान है इसके एक पखवाड़े के बाद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तथा चौदस की रात को छोटी दीवाली ग्रामीण क्षेत्रों में मनाई जाती है। इस रात भिलवट देव की पूजा भी की जाती है पूजा में नारियल, मिठाई के साथ-साथ देसी शराब की धार चढ़ाने के बाद मुर्गो तथा बकरों की बलि दी जाती है। जिससे साप्ताहिक हाट बाजारों में इन दिनों बकरों तथा मुर्गों की मांग अधिक होने से बकरे 5 हजार से लेकर 10-15 हजार तथा मुर्गों का भाव 300 से लेकर 500 तक पहुंच रही है। स्मरण रहे कि देवता को देसी मुर्गा मुर्गी ही चढ़ाए जाते हैं इसलिए इसकी मांग अधिक है।