पीला मोजेक से जिले में फसल हो रही प्रभावित, सरकार नहीं ले रही सुध, हर किसान को मुआवजा दिया जाए- विधायक पटेल
आलीराजपुर।
कोरोना महामारी के संकट दौर में जिले के किसानों को लगातार दूसरे वर्ष प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड रहा है, जिले के विभिन्न क्षेत्रों में पीला मोजेक नामक बिमारी से किसानों की उडद और सोयाबीन की फसल बर्बाद हो रही है। लेकिन मप्र की दिशाहीन सरकार किसानों की सुध नहीं ले रही है। उल्टे ज्यादा राशि के बिजली के बील भेजकर किसानों का शोषण करने में सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड रही है। जो किसान ज्यादा राशि के बिजली के बील नहीं भर पा रहे है उनके बिजली कनेक्शन विद्युत कंपनी द्वारा काटे जा रहे है। वहीं क्षेत्र में किसानों को जरूरत के समय पर्याप्त खाद नहीं मिल पाता है। वे खाद की निजी दुकानों पर घंटों इंतजार कर महंगे दामों पर खाद खरीदने को मजबूर होते है। अभी तक जिले का कोई अधिकारी पीला मौजेक से प्रभावित फसल का मुआयना करने भी किसानों के खेतों में नहीं पहुंचा है। यदि 15 दिन में किसानों की फसलों का मुआयना कर मुआवजा प्रकरण नहीं बनाएं गए तो कांग्रेस पार्टी द्वारा चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा। यह बात विधायक मुकेश पटेल ने मंगलवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कही।
विधायक पटेल ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र के सोण्डवा विकास खंड के ग्राम डाबडी के किसान करमा वेस्ता, इडा मालसिंह व कदम ने सूचित किया है कि हमारी फसल पीला मोजेक बिमारी से बर्बाद हो रही है। इसी प्रकार आलीराजपुर विकासखंड के ग्राम बडदला के किसान भुरू पिता इन्दरसिंह ने बताया कि मेरी उडद की फसल भी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। वहीं कटठीवाडा विकासखंड के ग्राम बोकडिया के दौलत पिता भावसिंह और माधु पिता वेलसिंह की फसल भी खराब हो रही है। इस प्रकार जिले और आलीराजपुर विधानसभा के विभिन्न गांवों में किसानों को पीला मोजेक से मुश्किलों का सामना करना पड रहा है।
किसानों पर पड रही चौतरफा मार, सरकार बिजली बील की वसूली में लगी सरकार
विधायक पटेल ने बताया कि कोरोना महामारी के इस संकटकाल में किसानों को चौतरफा मार का सामना करना पड रहा है। येलो मोजेक के रूप में किसान प्राकृतिक मार झेलने को मजबूर है। वहीं इस दिशाहीन सरकार द्वारा किसानो से बेतहाशा बिजली के बिलो की वसूली की जा रही है और उन्हें समय पर खाद भी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। पेट्रोल और डीजल सहित बढती महंगाई के कारण भी किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। कोरोनो काल में किसानों के पास रूपया नहीं बचा है तो वो बिजली के बील कैसे भरेंगे और महंगे दाम पर बाजार से खाद कैसे खरीदेंगे। सरकार किसानों की मदद करने की बजाय उनका शोषण करने में लगी हुई है।