भारतीय विवाह संस्कार और पद्धति का महत्व समझाया

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पारा। श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पूज्य प्रणवानंद सरस्वती महाराज श्री जी ने कथा प्रसंग का विस्तार करते हुए देवहुती कर्दम विवाह पर प्रवचन करते हुए बताया कि दहेज लेना और देना भारतीय परंपरा नहीं है। कन्या के माता पिता स्वेच्छा से जो कुछ भेंट अपनी पुत्री को उपहार स्वरूप देना चाहे वही मान्य और स्वीकार होना चाहिए।  श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पूज्य महाराज श्री ने जनमानस को संबोधित करते हुए भारतीय विवाह संस्कार और पद्धति का महत्व समझाया और बताया कि भारतीय समाज में विवाह एक बार ही किया जाता है विवाह संबंध विच्छेद की व्यवस्था भारतीय समाज भारतीय संस्कृति में नहीं है। तलाक और डायवोर्स जैसे शब्द और यह परंपरा व्यवस्था भारतीय नहीं अपितु पाश्चात्य जगत की रही है।

भारतीय संस्कृति अद्भुत है

श्रीमद् भागवत कथा की चतुर्थ दिवस कपिल उपाख्यान विषय पर प्रवचन करते हुए पूज्य महाराज श्री ने बताया कि भारतीय संस्कृति अद्भुत है जहां माता-पिता भी अपनी संतान से तत्व ज्ञान प्राप्त करते हुए आए हैं। जहां पुत्र के चरणों में बैठकर मां देवहूति ने आत्म कल्याण का मार्गदर्शन प्राप्त किया। आज धूमधाम से श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया।

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