त्रि दिवसीय तप अभिनंदन महोत्सव के तीसरे मुख्य दिन तपस्वियों की शोभायात्रा निकाली, किया बहुमान

0

पारा। पूज्य साध्वीजी चारित्रकला श्रीजी म.सा. की पावन प्रेरणा से नगर मे 8 सिद्धितप 4 मासक्षमण 36 उपवास 70 भक्तामर 30 अठाई 1 ऋषभ कंतुआ तप 10 उपवास 9 उपवास ओर आगे भी तप क्रिया में अग्रसर है। चातुर्मास के प्रथम दिन से नगर मे तपस्या का दौर शुरू हो गया था। 

10 सितंबर सुबह 9 बजे बेंड ढ़ोल हाथी क़े ऊपर आदिनाथ भगवान का चित्र राजेंद्रसुरी, जयंतसुरीजी का चित्र लाभार्थियों द्वारा लेकर ,घोड़े के साथ बग्गियों में तपस्वियों को बिठाकर शोभायात्रा मंदिर प्रांगण से प्रारम्भ हुई। हर घर से गहुली हुई सम्पूर्ण नगर मे होकर तपस्वियों की जयकारों से शोभायात्रा सभा स्थल पर पहुंची। सर्व प्रथम गुरुदेव के चित्र के सम्मुख गुरुवन्दन किया फिर साध्वीजी ने मंगलाचरण सुनाया फिर बाहर से पधारे श्रीसंघ एवं परिषद् क़े राष्ट्रीय पदाधिकारीयों ने दीपक करके माल्यार्पण किया। 

श्रीसंघ अध्यक्ष प्रकाश तलेसरा ने संचालन किया स्वागत उदबोधन सुरेशजी कोठारी ने दिया आभार रिंकू छाजेड ने व्यक्त किया। पूज्य साध्वीजी चारित्रकला श्रीजी ने कहा कि तप जीवन की एक सुन्दर क्रिया है जिसके तपन से आत्मा पर लगे हुए पाप कर्म जलकर भस्म हो जाते है। तप से मुक्ति मंजिल पर जल्दी से पहुंचा जा सकता है। म.सा.ने बताया की पारा पर पुण्य सम्राट का असीम आशीर्वाद रहा है उनके उपकारों उनके ऋण को चुकाना असम्भव है।

सभी तपस्वीयो का तिलक, माला, श्रीफल, अभिनन्दन पत्र, मोमेंटो से बहुमान लाभार्थीयों द्वारा किया गया। उसके पश्चात आराधना भवन मे सभी तपस्वीयो का सामूहिक पारणे सिद्धितप तपस्वी परिवार द्वारा किया गया। आगे ओलीजी श्रीपाल रास उत्तराध्यान सूत्र का वाचन आदि अनेक धर्म आराधना पूज्य साध्वीजी की निश्रा मे होंगी। 14 तारीख को जिया सोलंकी के 36 उपवास का पारणा होगा।

निर्मला अमृतलालजी जैन उग्र तपस्या की ओर अग्रसर है। 22 तारीख को पेपराल भांडवपूर तीर्थ पुण्य सम्राट जन्म भूमि पुण्य भूमि यात्रा संघ एवं आचार्य श्री से क्षमायाचना क़े लिए 4 दिवसीय संघ प्रस्थान होगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.